Ramayan: लंकापति रावण महाज्ञानी था लेकिन अहंकार हो जाने के कारण उसका सर्वनाश हो गया. रावण परम शिव भक्त भी था. तपस्या के बल पर उसने कई शक्तियां अर्जित की थीं. रावण की तरह उसके अन्य भाई और पुत्र भी बलशाली थे. लेकिन आचरण अच्छे न होने के कारण उनके अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे थे जिसके बाद भगवान ने राम के रूप में अवतार लिया और रावण का वध किया.


वाल्मीकि रामायण में रावण को अधर्मी बताया गया है. क्योंकि रावण ज्ञानी होने के बाद भी किसी भी धर्म का पालन नहीं करता था. यही उसका सबसे बड़ा अवगुण था. जब रावण की युद्ध में मृत्यु हो जाती है तो मंदोदरी विलाप करते हुए कहती हैं, अनेक यज्ञों का विलोप करने वाले, धर्म व्यवस्थाओं को तोड़ने वाले, देव-असुर और मनुष्यों की कन्याओं का जहां तहां से हरण करने वाले, आज तू अपने इन पाप कर्मों के कारण ही वध को प्राप्त हुआ है.


रावण की तीन पत्नियां थीं
रावण की पत्नियों के बारे में जानकारी मिलती है कि उसकी तीन पत्नियां थीं. तीसरी पत्नी का नाम अज्ञात है. इसका उल्लेख नहीं मिलता है. रावण की पहली पत्नी का नाम मंदोदरी था. मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की पुत्री थीं. रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था. तीसरी पत्नी के बारे में कहा जाता है कि रावण ने उसकी हत्या कर दी थी. इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर मंदोदरी के पुत्र थे. जबकि धन्यमालिनी से अतिक्या और त्रिशिरार नामक दो पुत्रों ने जन्म लिया था. तीसरी पत्नी के प्रहस्था, नरांतका और देवताका नामक पुत्र थे.


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