Ramayan Katha: लंका से हनुमान जी के साथ क्यों नहीं गईं थी देवी सीता, पढ़िए तीन वजह
Ramayan Katha: 28 नवंबर 2022 को विवाह पंचमी है. इस अवसर पर जानते हैं कि वनवास में जब हनुमान जी माता सीता को लेने लंका गए थे तो देवी ने उनके साथ आने से क्यों मना कर दिया था.
Ramayan Katha: विवाह पंचमी के दिन राम-सीता का विवाह हुआ था. इस बार 28 नवंबर 2022 को विवाह पंचमी (Vivah panchami 2022) है. हिंदू धर्म में ये दिन बहुत महत्वपूर्णा माना जाता है लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन शादी-ब्याह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. कहते हैं विवाह उपरांत सीता को कई कष्ट झेलने पड़े थे. इन्हीं में एक था वनवास, जिसमें रावण ने सीता का हरण कर लिया था.
सीता की खोज में जब हनुमान जी लंका पहुंचे थे तो देवी ने उनके साथ वापस श्रीराम के पास चलने से मना कर दिया था. धार्मिक मान्यता के अनुसार सीता के इनकार करने की कई वजह थी. आइए जानते हैं.
लंका से हनुमान जी के साथ क्यों नहीं गई देवी सीता
धर्म का पालन हेतु
जब अशोक वाटिका में हनुमान जी सीता को श्रीराम के वापस ले जाने आए थे तो देवी ने अपने पतिव्रत धर्म के पालन की बात कहते हुए उनके साथ जाने से मना कर दिया था. वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) के अनुसार अगर देवी सीता हनुमान जी के साथ चली आती तो यह उनके पतिव्रत धर्म के विरुद्ध होता. वह अपनी मर्जी से किसी अन्य पुरुष का स्पर्श नहीं कर सकती. इससे उनका पतिव्रत धर्म भंग होता.
श्रीराम के हाथों रावण का पतन
धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी सीता को ज्ञात था कि रावण का अंत करने के लिए ही भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया है. हनुमान जी के साथ जाने पर श्रीराम का उद्देश्य अधूरा रह जाता. अधर्म पर धर्म की जीत के लिए राम का लंका आना जरूरी था. यह भी एक वजह थी जो देवी सीता ने हनुमानजी के साथ जाने से इनकार कर दिया.
राम की शक्ति का मान रखा
देवी सीता के बजरंगबली के साथ न जाने की दूसरी वजह थी उनका श्रीराम की शक्ति के प्रति सम्मान. अगर वह हनुमान जी के साथ चली जाती तो इतिहास में भगवान राम निर्बल कहलाते और चारों ओर सीता को लंका से बचाने के लिए हनुमान जी की प्रशंसा होती. उन्होंने रघुकुल के सम्मान और मर्यादा की रक्षा के लिए ये कदम उठाया.
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