Ramayan: महापंडित दशानन रावण था इन महान ग्रंथों का रचयिता
रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा थे. जिन्होंन ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था. जिनसे कुबेर का जन्म हुआ. विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम कैकसी था.
लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर फिर से पुराने सीरियल को शुरू किया गया है. लोग अपने घरों में कैद हैं टीवी पर रामायण, महाभारत और ब्योमकेश बक्शी जैसे सीरियल को देख कर वक्त गुजार रहे हैं. मगर इन सभी सीरियल्स में खास है वह टीवी सीरियल रामायण है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा कर रहे हैं. सीरियल में फिलहाल लंका कांड का प्रसंग चल रहा है और लोगों को रावण की भूमिका काफी पसंद आ रही है.
बात करें रावण की तो उसके पिता ऋषि विश्वश्रवा थे. जिन्होंन ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था. जिनसे कुबेर का जन्म हुआ. विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम कैकसी था. जिनसे रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा ने जन्म लिया. पौराणिक कथाओं में इनके अतिरिक्त, अहिरावण, खर और दूषण भी रावण के भाई थे. यही नहीं सूर्पनखा के अतिरिक्त उसकी एक ओर बहन थी जिसका नाम कुम्भिनी था. कुंभिनी का विवाह मथुरा के राजा मधु राक्षस से हुआ था. कुंभिनी राक्षस लवणासुर की मां थी.
रावण को दशानन भी कहा गया है माना गया है कि रावण के दस सिर थे और वह प्रकांड पंडित था. बताया जाता है उसे वास्तु और विज्ञान विद्या और ज्योतिष का भी ज्ञान है. रावण में अपने जीवन में कई ग्रंथों का लिखा जिसे आज भी याद किया जाता है. आइए जानत उन ग्रंथों के बारे में...
रावण संहिता: ज्योतिष के स्तर पर रावण ने अपने जीवन अन्य विद्याओं के समागम करते हुए रावण ने रावण संहिता लिखा है.
शिव तांडव स्त्रोत: रावण को भगवान शिव बहुत बड़ा भक्त था. बताया जाता है कि एक बार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस श्लोक का निर्माण किया था. तब से शिव की हर उपासना में इस मंत्र का विशेष स्थान रहता है.
दस शतकात्मक अर्कप्रकाश: रावण द्वारा रचित इस ग्रंथ में उपचार और तंत्र विद्या के बारे में वर्णन है.
दस पटलात्मक: इस ग्रंथ में चिकित्सा और तंत्र विद्या को लेकर रावण ने जानकारी दी है.
कुमारतंत्र: आयुर्वेद के रहस्य, ज्योतिष और तंत्र विद्या के बारे में रावण ने इस ग्रंथ में संकलन किया है.
नाड़ी परीक्षा: नाड़ी चिकित्सा के क्षेत्र में रावण ने अपने ज्ञान इस ग्रंथ में प्रकाशित किया है.
उड्डीशतंत्र: चिकित्सा और तंत्र विद्या के साथ साथ वशीकरण और विशिष्ट तंत्र ज्ञान और साधनाओं का रहस्य इस ग्रंथ में रावण ने उद्घाटित किया है.