Ramayan: रावण को मारने के बाद जब राम सभी लोगों को लेकर अयोध्या पहुंचे तो भव्य स्वागत किया गया. पूरी अयोध्या में घी के दीए जलाए गए. जनता जर्नादन ने मंगल गीत गए. पूरे अयोध्या में उनके वापिस लौटने और रावण वध का जश्न मनाया गया. इसके बाद श्री राम के राज्याभिषेक किया.


राज्याभिषेक होने के बाद जब ऋषिमुनि श्रीराम के शौर्य कौशल की प्रशंसा कर रहे थे तभी माता सीता हंसी दी. उनकी इस मुस्कुराहट के पीछे एक गहरा रहस्य था. इस हंसी का कारण जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता से पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी रावण का एक भाई जीवित है जिससे युद्ध करना होगा. इसके बाद प्रभु श्रीराम ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी.


सीता जी ने बताया कि रावण का भाई जो जीवित है उसका नाम सहस्रानन है. माता सीता ने प्रभु राम से कहा कि जबतक सहस्रानन जीवित है तब तक इस जीत और शौर्य गाथा को कोई अर्थ नहीं है. इसके बाद प्रभु श्रीराम ने अपनी चतुरंग सेना को युद्ध का आदेश दिया. युद्ध के लिए उनके साथ माता सीता, विभीषण, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान सभी तैयार हुए.


अदभुत रामायण में मिलता है वर्णन


सहस्रानन से प्रभु श्रीराम के युद्ध का वर्णन अदभुत रामायण में किया गया है. ये संस्कृत भाषा में है जो रचित 27 सर्गों का काव्य विशेष है. इस ग्रन्थ के प्रेरणाश्रोत वाल्मीकि जी थे. लेकिन विद्वानों का मत है कि इस ग्रन्थ की भाषा और रचना से ऐसा प्रतीत होता है कि बाद में 'अद्भुत रामायण' की रचना की गई.


सहस्रानन कौन था


सहस्रानन सहस्रस्कंध पर शासन किया करता था. रावण की तरह ये भी बहुत शक्तिशाली था. जब उसका और भगवान श्रीराम के बीच युद्ध हुआ तो सहस्रानन ने मात्र एक बाण से ही श्रीराम की समस्त सेना और शूरवीरों को अयोध्या में फेंक दिया. इस युद्ध में भगवान राम अचेत हो गए. कोई भी होश में नहीं था सिवाए माता सीता के.


माता सीता बन गई काली


भगवान श्रीराम को अचेत अवस्था में देख माता सीता को इतना क्रोध आया कि वे 'असिता' यानि काली बन गईं. काली का रूप धारण माता सीता ने तब सहस्रमुख का वध किया.


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