Ramayan: इस बाहुबली ने रावण को युद्ध में चटा दी थी धूल, बना लिया था बंदी
Ram Katha: रामायण की कथा के अनुसार लंकापति रावण बहुत ही शक्तिशाली था. रावण भगवान शिव का परम भक्त था और तपस्या के बल पर उसने असीम शक्तियां प्राप्त कर रखी थीं, लेकिन एक ऐसा भी बाहुबली हुआ है जिसने में रावण को भी धूल चटा दी थी.
रामायण की कथा: रावण बहुत ही शक्तिशाली था, उसकी शक्तिओं से देवता भी घबराते थे. इन्ही शक्तिओं के कारण रावण को अहंकार हो गया और उसने अत्याचार आरंभ कर दिया. अंहकार के कारण रावण स्वयं को सबसे अधिक बलशाली मानने लगा और अपनी मनमर्जी करने लगा. लोगों का अपमान करना, बलपूर्वक किसी भी चीज को हासिल करना रावण का एक मात्र लक्ष्य रहता था. रावण अर्धम के रास्ते पर चलने लगा जिस कारण देवता और आम जनमानस भयभीत और दुखी रहने लगे. रावण इन्ही अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान राम ने रावण का वध करने की ठानी और लंका पर चढ़ाई कर युद्ध में रावण को मार गिराया.
सहस्त्रबाहु के जन्म की कथा पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में सहस्त्रबाहु अर्जुन नाम के एक प्रतापी राजा हुए. जिन्हें कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जात है. सहस्त्रबाहु अर्जुन को रावण से भी अधिक बलशाली माना जाता है. कार्तवीर्य अर्जुन के पिता का नाम कार्तवीर्य था. ये भी प्रतापी राजा थे. उनकी कई रानियां भी लेकिन किसी को कोई संतान नहीं थी. राजा और उनकी रानियों ने पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. तब उनकी एक रानी ने देवी अनुसूया से इसका उपाय पूछा. तब देवी अनुसूया में उन्हें अधिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उपवास रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए कहा. विधि पूर्वक एकादशी का व्रत करने के कारण भगवान प्रसन्न हुआ और वर मांगने के लिए कहा तब राजा और रानी ने कहा कि प्रभु उन्हेें ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न और सभी लोकों में आदरणीय तथा किसी से पराजित न हो. भगवान ने राजा से कहा कि ऐसा ही होगा. कुछ माह के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, इस पुत्र का नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया जो सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना गया.
सहस्त्रबाहु ने जब रावण को बना लिया बंदी एक कथा के अनुसार लंकापति रावण को जब सहस्त्रबाहु अर्जुन की वीरता के बारे में पता चला तो वह सहस्त्रबाहु अर्जुन को हराने के लिए उनके नगर आ पहुंचा. यहां पहुंचकर रावण ने नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव को प्रसन्न करने और वरदान मांगने के लिए तपस्या आरंभ कर दी. थोड़ी दूर पर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपने पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए आ गए, वे वहां जलक्रीड़ा करने लगे और अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया. प्रवाह रोक देने से नदी का जल किनारों से बहने लगा. जिस कारण रावण की तपस्या में विघ्न पड़ गया. इससे रावण को क्रोध आ गया और उसने सहस्त्रबाहु अर्जुन युद्ध आरंभ कर दिया. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को युद्ध में बुरी तरह से परास्त कर दिया और बंदी बना लिया.
रावण के दादा के कहने पर मुक्त किया बंदी बनाने की सूचना जैसे ही रावण के पिता हुई तो वे घबरा गए और सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास पहुंचे और रावण को मुक्त करने का आग्रह किया. रावण के दादा का नाम ऋषि पुलस्त्य था. दादा के कहने पर सहस्त्रबाहु ने रावण को मुक्त कर दिया.
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