Ramayan,Shabri Katha: माता शबरी को रामायण के पात्रों में विशेष स्थान दिया गया है. शबरी माता ने अपना संपूर्ण जीवन श्रीराम की भक्ति में बिताया. रामायण के अनुसार सीता की खोज करते हुए भगवान राम की शबरी से भेंट हुई थी. इसके लिए उन्होंने सालों तक मर्यादा पुरुषोत्तम राम की प्रतीक्षा की. रामायण के उस प्रसंग को तो सभी जानते हैं कि श्रीराम ने शबरी के हाथों से बेर खाए थे. लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर किसने शबरी माता को श्रीराम की भक्ति का वरदान दिया था, क्यों सालों तक शबरी श्रीराम की प्रतीक्षा करती रहीं. आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब


कौन थी शबरी ? (Who is Shabri)


पौराणिक कथा के अनुसार माता शबरी माता का असली नाम श्रमणा था. ये भील सामुदाय के शबर जाति से संबंध रखती थीं। इसी कारण कालांतर में उनका नाम शबरी हुआ. शबरी के पिता भीलों के मुखिया थे. उन्होंने शबरी का विवाह भील कुमार से तय कर दिया. शादी से पहले  कई भेड़-बकरियों को बलि के लिए लाया गया, जिन्हें देखकर शबरी का मन विचलित हो उठा, क्योंकि उन्हें बेजुबान जानवरों से बेहद लगाव था. निर्दोष जानवरी की हत्या को रोकने के लिए शबरी विवाह से एक दिन पूर्व घर से भागकर जंगल चली गईं और सभी जानवरों को बचा लिया.



कौन थे शबरी के गुरु? (Shabri guru)


शबरी घर से भागकर दंडकारण्य वन में पहुंची और वहां मातंग ऋषि की सेवा करने लगी. भील जाती की होने के कारण शबरी आश्रम में छिपकर सेवा करती थी.  एक दिन शबरी की  सेवा भावना देखकर मुनिवर अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने आश्रम में शबरी को शरण दे दी. उन्होंने मातंग ऋषि से ही धर्म और शासत्र का ज्ञान प्राप्त किया. मातंग ऋषि ने ही शबरी को श्रीराम की भक्ति करने को कहा.


शबरी ने सालों तक क्यों की श्रीराम की प्रतीक्षा


एक दिन जब ऋषि मातंग को लगा कि उनका अंत समय निकट है तो उन्होंने शबरी से कहा कि वे अपने आश्रम में ही प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा करें। वे एक दिन अवश्य ही उनसे मिलने आएंगे और उसके बाद ही तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा. शबरी प्रतिदिन अपनी कुटिया के रास्ते में आने वाले पत्थरों और कांटों को हटाने लगीं, ताकि श्रीराम के आगमन के लिए मार्ग सुलभ हो जाए. रोज ताजे फल और बेर तोड़कर श्रीराम के लिए रखती.


शबरी और श्रीराम का मिलन


माता सीता की खोज में जब श्रीराम शबरी की कुटिया पहुंते तो वह भाव विभोर हो गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. कहते हैं कि शबरी ने श्रीराम को स्वयं चखकर सिर्फ मीठे बेर खिलाये, जिसे भगवान राम ने भी भक्ति के वश होकर प्रेम से खाए. शबरी की भक्ति देखकर श्रीराम ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया.


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