रंगपंचमी में रंग को शरीर पर लगाकर नहीं हवा में उड़ाकर मनाया जाता है. इस दिन महाराष्ट्र में श्रीखंड बनाया जाता है. ये त्योहार देवी-देवताओं को समर्पित है. इस दिन राधा कृष्ण की भी पूजा की जाती है. राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं. ये भी कहा जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग रासलीला की थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था.
महाराष्ट्र में इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है. मछुआरे इस त्यौहार पर एक दूसरे के घरों को मिलने जाते है. और काफी समय मस्ती में व्यतीत करते हैं. राजस्थान में इस अवसर पर विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों में डूबा वातावरण देखते ही बनता है, जबकि हवा में लाल नारंगी और फ़िरोज़ी रंग उड़ाए जाते हैं. मध्यप्रदेश के इंदौर में इस दिन सड़कों पर रंग मिश्रित सुगंधित जल छिड़का जाता है. लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली पर जलूस निकालने की परंपरा है. जिसे गेर कहते हैं.
रंग पंचमी का महत्व
रंग पंचमी त्यौहार देश का प्रमुख उत्सव है. होली की तरह ही यह त्यौहार भी मस्ती, खुशी और रंगों से भरा होता है. हिंदू लोगों के लिए यह दिन एक महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का है क्योंकि यह माना जाता है कि होलिका दहन लोगों को सभी प्रकार के तामसिक और राजसिक तत्वों से शुद्ध करता है. इसके पश्चात पवित्र रंगों के माध्यम से देवताओं को आमंत्रित किया जाता है. यह एक तरह से आध्यात्मिक विकास का भी उत्सव है.
इस खास दिन पर लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ रंग खेलते हैं. भक्त भगवान कृष्ण और राधा देवी की पूजा और प्रार्थना करते हैं. विभिन्न पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं जो भक्तों द्वारा देवताओं के मध्य भक्त और भक्त वत्सल के सर्वोच्च बंधन के प्रतीक का पर्व है.