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Ravan Puja in India : भारत में इन जगहों पर होती है लंकापति रावण की पूजा
हर साल विजयदशमी यानि दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. और इसे अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में देखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां पर दशहरे के दिन रावण दहन नहीं बल्कि लंकापति नरेश की पूजा अर्चना की जाती है.
रावण...जिसने माता सीता का अपहरण किया और उसे उसके बुरे कर्मों की सज़ा मिली. भगवान राम के हाथों उसका वध हुआ. इसीलिए हर साल विजयदशमी यानि दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. और इसे अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में देखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां पर दशहरे के दिन रावण दहन नहीं बल्कि लंकापति नरेश की पूजा अर्चना की जाती है. अपनी इस रिपोर्ट में हम उन्हीं जगहों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
भारत में यहां होती है रावण की पूजा
उत्तरप्रदेश (बिसरख)
ऐसी ही एक जगह है उत्तरप्रदेश जहां के बिसरख में रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी पूजा की जाती है. दरअसल, बिसरख का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा. उन्होंने ही यहां पर स्वयंभू शिवलिंग की खोज की थी. और ऐसा भी माना जाता है कि यहीं पर रावण का जन्म हुआ था. चूंकि रावण ब्राह्मण थे इसीलिए यहां उनकी विशेष तौर पर पूजा की जाती है. बल्कि नवरात्रि में तो रावण की आत्मा के लिए शांति यज्ञ भी यहां किया जाता है.
महाराष्ट्र (गढ़चिरौली)
यहां की गोंड जनजाति में ना केवल रावण बल्कि उनके पुत्रों को भी देवताओं की तरह की पूजा जाता है. इस जनजाति का मानना है कि रावण कोई बुरा इंसान नहीं था और ना ही उसने सीता माता को बदनाम किया. इसीलिए महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में रावण को आज भी पूजा जाता है.
हिमाचल प्रदेश(कांगड़ा)
ऐसी मान्यता है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ही रावण ने भगवान भोलेनाथ को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न किया था. और प्रसन्न होकर शिवजी ने रावण को वरदान दिया था. इसीलिए कांगड़ा में रावण को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है और इसी कारण से उसकी पूजा यहां की जाती है.
राजस्थान (जोधपुर)
यह भी एक अहम स्थान है जहां पर रावण का पुतला दहन नहीं बल्कि रावण को पूजनीय माना जाता है. दरअसल, यहां के मौदगील ब्राह्मण खुद को रावण का वंशज मानते हैं. और इसीलिए दशहरा के दिन रावण का पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है.
मध्यप्रदेश (मंदसौर)
यहां रावण की पूजा का कारण मंदोदिरी है जो रावण की पत्नी थी. कहा जाता है कि मंदसौर ही मंदोदिरी का मायका था. और इसीलिए यहां रावण को दामाद मानकर पूजा की जाती है. इसीलिए यहां के नामदेव समाज में दशहरे के लिए रावण का पुतला नहीं जलाते बल्कि रावण की पूजा का विधान है. मंदसौर में रावण की पूजा के लिए उसकी बड़ी सी प्रतिमा भी स्थापित की गई है. जिसकी पूजा भी रोज़ाना की जाती है.
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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