Ravi Pradosh Vrat 2021: पंचांग के अनुसार, आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. माह की हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. यह प्रदोष व्रत रविवार को होता है इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) कहते हैं. चूंकि रवि प्रदोष व्रत भगवान शिव (RaviPradosh Vrat Bhagwan Shiv Puja) को समर्पित होता है. इसलिए भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत करना सबसे उत्तम होता है. रवि प्रदोष व्रत से न केवल भगवान शिव को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है बल्कि सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए रवि प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.  


धार्मिक मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत करने और भोलेनाथ की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और निरोगी काया की प्राप्ति होती है. रवि प्रदोष व्रत के पूजन करने से सूर्य देव की कृपा भी मिलती है. इससे आपके मान-सम्मान व पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.


रवि प्रदोष व्रत पूजन विधि (Ravi Pradosh Puja Vidhi)


भक्तों को रवि प्रदोष के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करके घर के पूजा स्थल पर जाकर व्रत और पूजन का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद व्रत और पूजा प्रारंभ करें. अब धूप दीप अगरवत्ती जलाकर विधि पूर्वक पूजा करें. इसके बाद तांबे के पात्र में जल लें और उसमें रोली और फूल डालें. भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.


पूरे दिन फलाहार व्रत करते हुए भगवान शिव का स्मरण करें. इस दिन शाम को प्रदोष काल में फिर से शिव जी का विधिवत शास्त्र सम्मत पूजन करें. दूध, दही, शहद आदि से भगवान शंकर का अभिषेक करें. इसके बाद चंदन लगाएं और फल-फूल, मिष्ठान आदि चढ़ाएं. पूजा के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र और रूद्राष्टकम् का पाठभी करें. अंत में आरती करने के बाद पूजा समापन करें.


प्रदोष व्रत पूजन शुभ मुहूर्त: पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 49 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक है.


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