5 अप्रैल रविवार को है रवि प्रदोष का व्रत, रोगों से दूर रखता है ये व्रत, जानें व्रत का महत्व
Pradosh Vrat 2020: प्रदोष व्रत की महिमा भी एकादशी व्रत की तरह है. 5 अप्रैल को रविवार के दिन रवि प्रदोष व्रत है. पौराणिक कथाओं में रवि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. रविवार का प्रदोष व्रत स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करता है.
Ravi Pradosh Vrat: एक वर्ष में 24 प्रदोष होते हैं. इन सभी 24 प्रदोष का अलग अलग महत्व है. इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है ऐसे में प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है. प्रदोष व्रत रखने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. जो व्यक्ति को रोगों से दूर रखने में मदद करती है.
रवि प्रदोष का व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और सम्मान में भी वृद्धि होती है. व्यक्ति मानसिक तौर पर मजबूत बनता है. यह व्रत व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी बेहतर बनाता है. इस व्रत को पूरे विधि विधान से करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.
सूर्य की अशुभता दूर होती है
सूर्य को जीवन माना गया है. सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति कई तरह की दिक्कतों का सामना करने लगता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें रोग सताते रहते हैं, कड़ी मेहनत के बाद भी प्रमोशन में बाधा बनी रहती है. सम्मान और उच्च पद प्राप्त करने में भी दिक्कत आती है. रवि प्रदोष व्रत रखने से सूर्य को बलवान बनाने में मदद मिलती है.
धन की कमी दूर होती है
जिन लोगों के जीवन में आर्थिक दिक्कतें बनी रहती हैं उन्हें रवि प्रदोष व्रत रखने से लाभ मिलता है. यह व्रत सुख समृद्धि में भी वृद्धि करता है. आने वाले अपयश को भी दूर करता है.
पूजा विधि
5 अप्रैल दिन रविवार को सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक करें इसके बाद सूर्य देवी की स्तुति करें. पुष्प चढ़ाएं. शिव आरती के बाद सूर्य मंत्रों का जाप करें. इसके बाद जल में गंगाजल और लाल चंदन मिलाकर सूर्य भगवान को चढ़ाएं. जल चढ़ाते समय जल की धारा से सूर्य देव को देखना चाहिए. इस दौरान सूर्य मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.
सूर्य मंत्र
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः.
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ.