Mangala Gauri Vrat Katha 2022: सावन में हर मंगलवार को किया जाता है मंगला गौरी व्रत, जानिए क्या है कथा
Mangala Gauri Vrat 2022: सावन के माह में जितने भी मंगलवार आते हैं, वो मंगला गौरी व्रत कहलाते हैं. इस व्रत में भगवान शिवजी, पार्वती, गणेश तथा नन्दी की पूजा की जाती है.
Mangala Gauri Vrat Ki Kahani: सावन के महीने में जितना महत्व सोमवार का है, उतना ही मंगलवार का भी है. इस माह में जहां हर सोमवार को भोले नाथ की पूजा की जाती है, वहीं हर मंगलवार मां मंगला गौरी की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि यदि किसी के वैवाहिक जीवन में कोई समस्या, विवाह में कोई अड़चन या फिर संतान सुख प्राप्त न नहीं है, तो उसे मंगला गौरी का व्रत मंगलवार के दिन रखना चाहिए और पूजा अर्चना करनी चाहिए.मंगला गौरी व्रत करने वाली महिलाएं पूजा में इस व्रत की कथा का पाठ भी जरूर करती हैं. आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत कथा क्या है?
मंगला गौरी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, पुराने समय में एक धर्मपाल नाम का सेठ था. उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी, बस कमी थी तो संतान की. इस वजह से सेठ और उसकी पत्नी काफी परेशान रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए सेठ ने कई जप-तप, ध्यान और अनुष्ठान किए, जिससे देवी प्रसन्न हुईं और सेठ से मनचाहा वर मांगने को कहा. तब सेठ ने कहा कि मां मैं सर्वसुखी और धनधान्य से समर्थ हूं, परंतु मैं संतानसुख से वंचित हूं मैं आपसे वंश चलाने के लिए एक पुत्र का वरदान मांगता हूं. सेठ की बात सुनकर देवी ने कहा सेठ तुमने बहुत ही कठिन वरदान मांगा है. पर मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूं इसलिए मैं तुम्हें वरदान तो दे देती हूं कि तुम्हें घर पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी परंतु तुम्हारा पुत्र केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा. देवी की यह बात सुनकर सेठ और सेठानी बहुत दुखी हुए लेकिन फिर भी उन्होंने वरदान स्वीकार कर लिया.
देवी के वरदान से सेठानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. सेठ ने जब अपने पुत्र का नामकरण संस्कार किया तो उसने उसका नाम चिरायु रखा. जैसे - जैसे समय बीतता गया. सेठ-सेठानी को अपने पुत्र की मृत्यु की चिंता सताने लगी। तब एक विद्वान ने सेठ को यह सलाह दी कि यदि वह अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करा देगें, जो मंगला गौरी का व्रत रखती हो. उसी कन्या के व्रत के फलस्वरूप आपके पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होगी.सेठ ने विद्वान के कहे अनुसार अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करार दिया, जो मंगला गौरी का विधिपूर्वक व्रत रखती थी. विवाह के परिणामस्वरूप चिरायु का अकाल मृत्युदोष ससमाप्त हो गया और राजा का पुत्र नामानुसार चिरायु हो उठा. तभी से महिलाएं पूरी श्रद्धाभाव से मंगला गौरी का व्रत रखने लगी.
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