Vaishakh Purnima 2022: शास्त्रों की मान्यता है कि सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को और मासों की अपेक्षा अधिक महत्व है. वैशाख मास को ब्रह्मा जी द्वारा सिद्ध किया गया है. इसीलिए वैशाख मास का अधिक महत्व है. वैशाख मास की पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है, इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की विधि विधान से उपासना की जाती है और उनसे समस्त दुखों को दूर करने की प्रार्थना की जाती है. इस साल वैशाख मास की पूर्णिमा 16 मई को पड़ रही है. इस दिन चंद्र दोष को दूर करने के लिए चंद्रमा की पूजा की जाती है. मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न रखने के लिए यमराज की पूजा की जाती है.


भगवान विष्णु, यमराज और वैशाख पूर्णिमा में गहरा संबंध


वैशाख मास की पूर्णिमा का सृष्टि के पालनहार और मृत्यु के देवता से बहुत गहरा संबंध है. इन दोनों लोगों को प्रसन्न करके मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर, शुद्ध जल या गंगाजल डालकर स्नान करके लोग अपने आराध्य देव भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं.


पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है. चंद्र दोष को दूर करने और धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए पूजा अर्चना की जाती है. जेष्ठ मास के उपरांत आने वाले वैशाख मास में मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन जल से भरे हुए घड़े, कुल्हड़, ककड़ी, खीरा, चावल, छाता, पंखा, खड़ाऊ आदि का दान देने से यमराज प्रसन्न होते हैं और मृत्यु का भय दूर हो जाता है. व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास का संचार होता है.



 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.