Rukmini Ashtami 2022: पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी 16 दिसंबर 2022 को रुक्मिणी अष्टमी मनाई जाएगी. पुराणों के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण की पटरानी देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था. जब भी सच्चे प्रेम की बात होती है मन में राधा-कृष्ण की तस्वीर उभर आता है लेकिन राधा, कान्हा की धर्मपत्नी नहीं बन पाई. पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण की कई रानियां थी, जिनमें उनकी पहली पत्नी थी देवी रुक्मिणी. देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा बेहद रोचक है. आइए जानते हैं.


श्रीकृष्ण-देवी रुक्मिणी की विवाह कथा (Krishna and Rukmini vivah katha)


विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं. पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे. राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता. कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था. तय कर लिया था कि वह कृष्ण से ही विवाह करेंगीं.


संकट से बचाने कृष्ण को लिखा था पत्र


राजा भीष्मक के पुत्र रुक्म का खास मित्र चेदिराज शिशुपाल, रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था. रुक्म के कहने पर राजा ने शिशुपाल से देवी रुक्मिणी का विवाह तय कर लिया, लेकिन रुक्मिणी श्रीकृष्ण के अलावा किसी को भी अपने पति के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहती थीं. उन्होंने अपनी कान्हा के प्रति अपने प्रेम की बात एक संदेश के जरिए श्रीकृष्ण तक पहुंचाई. श्रीकृष्ण को जब ये बात पता चली तो रुक्मिणी को संकट में देख वह विदर्भ राज्य पहुंच. श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी के बारे में काफी कुछ सुन रखा था. 


कृष्ण ने किया रुक्मिणी का हरण


शिशुपाल जब विवाह के लिए द्वार पर आया तो कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया. इसके बाद श्रीकृष्ण, शिशुपाल और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ और इसमें द्वारकाधीश (कृष्ण) विजयी हुए. कृष्ण देवी रुक्मिणी को द्वारकाधीश ले आए और यहीं उनका विवाह हुआ.


Chanakya Niti: हाथ आई सफलता छिन लेती है ये आदत, छोड़ दी तो दुनिया पर करेंगे राज


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.