Rules for Diya in Navratri 2021: सनातन धर्म में दीपक को प्रकाश द्योतक माना गया है और प्रकाश ज्ञान का. परमात्मा से हमें संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो इसीलिए हिंदू धर्म में दीप प्रज्वलन करने का विधना है. कोई भी पूजा हो या किसी समारोह का शुभारंभ, समस्त शुभ कार्यों में दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है.


नवरात्रि में कलश स्थापना का जितना महत्व होता है उतना ही महत्व अखंड ज्योति का. मान्यता है की अखंड ज्योति से या मां के पूजन के समय दीपक जलाने से माता रानी भक्तों पर अति प्रसन्न होकर उनके सारे दूख दूर होने का आशीर्वाद प्रदान करती है. परंतु दीपक जलाने के कुछ नियम होते हैं. इस लिए मां की पूजा करने के समय या अखंड दीपक जलाते समय इन नियमों का जरूर ध्यान रखना चाहिए.  



नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने के नियम



  • आमतौर पर लोग नवरात्रि में पीतल के दीपपात्र में अखंड ज्योति को प्रज्वल्लित करते हैं. परन्तु इसके अभाव में मिटटी के पात्र में भी दीपक जलाना शुह माना गया है.

  • हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से पहले मन में संकल्प लेकर देवी मां से प्रार्थना करें कि हे मां हमारी मनोकामना जल्द पूर्ण करें

  • नवरात्रि के दौरान अखंड दीपक को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए.

  • देवी मां दुर्गा के सामने अखंड ज्योति को जमीन पर या चौकी पर अष्टदल बनाकर रखें. यह अष्टदल आप गुलाल या रंगे हुए चावलों का बना सकते हैं.

  • नवरात्रि के दौरान पूजा में अखंड ज्योति की बाती रक्षासूत्र यानि कलावा से बनायें. कलावा से निर्मित बाती का इस्तेमाल करें.

  • अखंड ज्योति जलाने के लिए गाय के शुद्ध घी इस्तेमाल करना उत्तम होता है. यदि गया का घी न उपलब्ध हो तो, भैंस का घी या तिल का तेल या सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

  • अखंड ज्योति यदि घी का है, तो इसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिये, लेकिन यदि दीपक तेल का है तो उसे बाईं ओर रखना उत्तम होगा.

  • व्रत या संकल्प खत्म पर ज्योति को मुंह से या अन्य गलत तरीके से बुझाना उचित नहीं होता. इसे अपने आप बुझने देना चाहिए.

  • अखंड ज्योति पूर्व- दक्षिण कोण यानि आग्नेय कोण में रखना शुभ होता है.