Sadhvi Aastha Bharti Ji Biography in Hindi: भारत देश विविधताओं से भरा हुआ है. लेकिन इसके बावजूद भी देश एकता की मिसाल है और यहां एकता देखने को मिलती है. भारत को प्राचीन समय से ही सांधु-संत और संन्यासियों का देश कहा जाता रहा है.
लेकिन जब आप विस्तृत रूप से इसके बारे में जानेंगे तो आपको पता चलेगा कि, केवल वृद्ध ही नहीं बल्कि ऐसे बहुत से लोग हुए और हैं जो कम उम्र में ही गृह त्याग कर साधु-संन्यासी बन गए और अध्याम का मार्ग चुना. इन्हीं में एक है साध्वी आस्था भारती जी (Sadhvi Aastha Bharti Ji) जिन्होंने 2015 में दीक्षा ली और साध्वी बन गई. तब इनकी उम्र महज 20 वर्ष थी.
जो उम्र जीवन की ऊर्जावान अवस्था होती है और इस उम्र में युवा एक से बढ़कर एक लक्ष्य तैयार करते हैं और इसे पूरा करने का सपना देखते हैं. ऐसे में आखिर क्यों महज 20 साल की उम्र में साध्वी आस्था भारती ने जीवन के सुख, विलास भोग और घर-परिवार का त्याग कर साध्वी बनने का निर्णय लिया और धर्म के मार्ग पर निकल गईं.आइए जानते हैं इसके बारे में.
कौन है साध्वी आस्था भारती (Who is Sadhvi Aashta Bharti)
साध्वी आस्था भारती हल्दीघाटी में स्वामी जगदीश गोपाल जी महाराज की शिष्या हैं, जोकि लंबे समय से कथावाचन कर रही हैं. ये 2015 में संन्यास लेकर गौ सेवा में जुट गईं. साध्वी आस्था भारती अपने गुरु के साथ गौकथा, गौ राम कथा, गौ भगवत कथा, भगवान देवनारायण कथा और नानीबाई का मायरा की कथा करती है. साध्वी आस्था भारती मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली हैं. इन्होंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की है.
साध्वी आस्था भारती का जीवन परिवार (Sadhivi Aastha Bharti Biography)
साध्वी आस्था भारती जी का जन्म 07 जून 1995 में हुआ. इनके पित का नाम पुरुषोत्तम सेवक और माता का नाम जयमाला शर्मा है. महिमा शर्मा ने 20 साल की उम्र में साध्वी आस्था के रूप में दीक्षा ग्रहण की. इन्होंने जुलाई 2015 में राजस्थान के बड़ोदिया में हुए दीक्षा महोत्सव में हजारों श्रद्धालु और संतों के बीच संत जगदीश गोपाल महाराज से दीक्षा ली, जिसके बाद ये महिमा शर्मा से साध्वी आस्था गोपाल बन गईं.
पढ़ाई में टॉपर रही हैं साध्वी आस्था भारती
हम सभी कहने मात्र से हिंदू नहीं बन जाते, बल्कि इसके लिए धर्म का पालन भी करना पड़ता है और धर्म के प्रति समर्पित होना पड़ता है. इसका साक्षात उदाहरण हैं साध्वी आस्था भारती. साध्वी आस्था जी के माता, पिता, भाई और चाचा सभी पेशे से टीचर हैं. साध्वी आस्था जी भी शुरुआत से पढ़ाई में टॉपर रही हैं. लेकिन धर्म के प्रति इनकी जागरुकता ऐसी बढ़ी कि, ये साध्वी बन गईं. साध्वी आस्था के अनुसार, परिवार के साथ भगवत भक्ति और गोसेवा संभंव नहीं था. परिवार में दायरा सीमित रह जाता है. साथ ही ये कहती हैं कि, ये आजीवन विवाह नहीं करेंगी और पूरी तरह धर्म का पालन करेंगी.
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