Sakat Chauth 2023, Lord Ganesha Birth Place secrets: सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के महत्वपूर्ण व्रतों व उत्सवों में एक है. इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर पूजा की जाती है. मान्यता है कि सकट चौथ के व्रत और पूजन से संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है और भगवान गणेश संतान के सभी कष्टों को हर लेते हैं.
पंचांग के अनुसार सकट चौथ माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है. इस साल सकट चौथ का पर्व मंगलवार 10 जनवरी 2023 को है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव का स्थान प्राप्त है और सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा व स्तुति का विधान है. सकट चौथ के शुभ पर्व पर जानते हैं भगवान गणेश के जन्म से जुड़े रोचक रहस्यों के बारे में. कैसे हुआ भगवान गणेश का जन्म और कहां है उनका जन्मस्थान.
भगवान श्रीगणेश का जन्म
मान्यता है कि माता पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत के फलस्वरूप गणेश जी का जन्म हुआ था. इसके संबंध में कहा गया है माता पार्वती ने अपनी सखी जया और विजया के कहने पर एक गण की उत्पति अपने मैल से की थी.
वहीं माथुर ब्राह्मणों के इतिहास के अनुसार, अनुमानत 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्र पद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म मध्याह्न के समय हुआ था. हालांकि पौराणिक मतानुसार गणेश जी जन्म सतुयग में बताया जाता है. इसके अनुसार गणेश जी ने कृतयुग यानी सतयुग में कश्यप और अदिति के यहां श्री अवतार महोत्कट विनायक के नाम से जन्म लिया था.
गणेश जी के जन्म स्थान डोडीवाल से जुड़े रहस्य
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, उत्तरकाशी के डोडीताल को भगवान गणेश का जन्म स्थान माना गया है. मान्यता है कि डोडीताल में ही माता पार्वती ने स्नान के लिए जाने से पूर्व द्वार की सुरक्षा हेतु अपने उबटन से गणेश जी को उत्पन्न किया था.
- उत्तरकाशी जिले में स्थित डोडीताल को गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है. यहां माता पार्वती के अन्नपूर्णा देवी के रूप में प्राचीन मंदिर भी स्थित है. मंदिर में माता के साथ भगवान गणेश भी विराजमान हैं.
- डोडीताल के स्थानीय लोगों की बोली में भगवान गणेश को डोडी राजा कहा जाता है, जोकि केदारखंड में गणेशजी के डुंडीसर नाम का अपभ्रंश है.
- डोडीताल समुद्रतल से 3,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है.
- डोडीताल एक से डेढ़ किलोमीट में फैली झील है. सकी गहराई कितनी है, इसका अनुमान कोई लगा पाया. वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार झील की गहराई को मापने की कोशिश की गई लेकिन उनका प्रयास हर बार असफल रहा.
- आज भी डोडीताल के इस झील के ताल की गहराई रहस्य बना हुआ है.
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