Sakat Chauth 2024: सकट चौथ व्रत से मिलता है संतान को लंबी उम्र का वरदान, जानें महत्व
Sakat Chauth 2024: इस साल माघी चतुर्थी यानी सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी 2024 को रखा जाएगा. संतान की उन्नति, खुशहाली और लंबी उम्र के लिए ये व्रत खास है, जानें सकट चौथ व्रत की कथा
Sakat Chauth 2024: 29 जनवरी 2024 को सकट चौथ का व्रत किया जाएगा. इस दिन गणेश भगवान की पूजा होती है, पूरा दिन व्रत रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ये व्रत खोला जाता है. संतान की लंबी उम्र, सौभाग्य में वृद्धि के लिए के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जानें सकट चौथ व्रत कथा.
सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में साहूकार और उसकी पत्नी रहते थे. दोनों का धर्म कर्म के काम में मन नहीं लगता था. एक दिन साहूकारनी अपने पड़ोसन के घर गई. पड़ोसन को सकट चौथ की पूजा कर उसने इस व्रत का महत्व पूछा. साहूकारनी को सकट चौथ व्रत या तिलकुटा चौथ व्रत की महिमा बताते हुए पड़ोसन बोली की गणपति जी की कृपा से व्यक्ति को अखंड सौभाग्य, पुत्र, धन-धान्य, बुद्धि, सिद्धि सबकुछ प्राप्त होता है. साहूकारनी ने व्रत का लाभ जानकर सकट चौथ व्रत करने का संकल्प लिया.
सकट चौथ व्रत से संतान को मिलता है दीर्धायु का वरदान
साहूकारनी ने कहा कि वह मां बनती है तो सकट चौथ व्रत करेगी और गणेश जी को सवा सेर तिलकुट चढ़ाएगी. गणेश जी की कृपा से वह गर्भवती हो गई. अब साहूकारनी की लालच और बढ़ गया. उसने कहा कि उसे बेटा हुआ तो ढाई सेर तिलकुट करेगी. साहूकारनी को एक सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति हुई. फिर उसकी लालसा बढ़ गई अब वह बोली कि अगर उसके बेटे का विवाह हो जाता है, तो वह सवा पांच सेर तिलकुट करेगी. गजानन के वरदान से उसका विवाह भी हो गया लेकिन तब भी उसने व्रत नहीं किया.
बप्पा की माया से गायब हुई संतान
साहूकारनी के बेटे का विवाह तय हो गया. लोभी साहूकारनी को सबक सिखाने के लिए गणपति जी ने अपनी माया से शादी वाले दिन उसके बेटे को गायब कर दूर कहीं जंगल में पहुंचा दिया. माता-पिता और सभी वर के गुम हो जाने पर चिंतित होने लगे. विवाह टल गया. एक दिन साहूकारनी की होने वाली बहू सखियों संग जंगल में दूर्वा लेने गई थी. उसे देखकर साहूकारनी के बेटे ने आवाज भी दी लेकिन वह सभी डर के वहां से चली गईं और इस घटना के बारे में अपनी मां को बताया.
सकट चौथ व्रत के प्रभाव से मिली संतान
गांववालों और साहूकारनी के समधियों ने वहां जाकर देखा तो उनका दामाद घने जंगल में एक पेड़ पर बैठा था. उसने अपनी सभी को अपनी मां की गलती बताई और कहा कि मां ने सकट चौथ व्रत करने का वचन दिया था लेकिन उसे पूरा नहीं किया जिसके कारण सकट देव क्रोधित हो उठे..
साहूकरानी को जब ये बात पता चली तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गणपति जी से क्षमा याचना कर सकट चौथ का व्रत और तिलकुट किया. गणेश जी न साहूकरानी को माफ कर दिया और उसका बेटा भी सही सलामत घर आ गया. कहते हैं कि सकट चौथ के व्रत के प्रभाव से संतान पर कभी कोई आंच नहीं आती. बच्चे को लंबी उम्र का वरदान मिलता है.
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