नई दिल्ली: सकट का पर्व आने वाला है. इस दिन को लोग तिल और गुड़ खाने के नाम से भी जानते हैं. इस पर्व से हर किसी की बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं. सकट के पर्व को कई और नामों से भी जाना जाता है. इस पर्व को पूरे देश में मनाया जाता है. लेकिन हिंदी भाषी प्रदेशों में इस पर्व को मनाने का चलन अधिक है. आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में-
इस पर्व को इन नामों से भी जानते हैं
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विशेष माना गया है. सकट चौथ, तिलकुटा चौथ, संकटा चौथ, माघी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी के नामों से भी जाना जाता है.
मां रखती है अपने बच्चों के लिए व्रत
इस दिन मां अपने बच्चों के लिए व्रत भी रखती है. जिन बच्चों को गंभीर रोग होते हैं, ऐसे बच्चों की मां को इस दिन व्रत रखने की सलाह दी जाती है. बच्चों को बुरी नजर से बचाए रखने के लिए भी माताएं इस व्रत को रखती हैं. जो मां अपने बच्चों के लिए इस दिन व्रत रखती हैं, वे बच्चे जीवन में कई तरह के संकटों से दूर रहते हैं. उनका विकास अच्छा होता है. क्योंकि उन पर भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है. इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन सुबह उठकर माताएं तिल,गुड़,गन्ना और तिल के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
घर में बनाएं मिट्टी के गणेश जी
इस दिन मिट्टी से गणेश जी को बनाकर घर में स्थापित किया जाता है. गणेश जी को पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है. तिल और गुड़ का भोग लगाया जाता है. प्रसाद में भी गुड़ और तिल का वितरण किया जाता है. तिल और गुड़ का सेवन सर्दी में शरीर के अंदर मौजूद दूषित पदार्थों को नष्ट करने में सहायक होता है.
सकट पर्व और पंचाग
पंचाग के अनुसार 13 जनवरी को सकट का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सोमवार है. जो बेहद शुभ दिन है. 13 जनवरी शाम 5: 32 से लेकर 14 जनवरी दोपहर 2:49 मिनट तक यह पर्व रहेगा.
विशेष बात
इस दिन गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. जिन लोगों के काम नहीं बन रहे हैं व्यापार में लाभ नहीं हो रहा है. शिक्षा से जुड़ें का कामों में बाधा आ रही है तो इस दिन की जाने वाली पूजा से विशेष लाभ मिलता है.