Samudra Manthan Precious Ratna: विष्णु पुराण के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग ऐश्वर्य, धन और वैभव से विहीन हो गया था. इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवगण भगवान श्री हरि विष्णु की शरण में पहुंचे. विष्णुजी ने देवगण को असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कराने का उपाय बताया. इसके बाद अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन करने पर देवताओं और असुरों के बीच सहमति हुई.
समुद्र मंथन के लिए वासुकी नाग की नेती यानी रस्सी और मंदराचल पर्वत से समुद्र को मथा गया. समुद्र मंथन से अमृत कलश तो प्राप्त हुआ, लेकिन इसी के साथ अन्य कई बहुमूल्य रत्न भी प्राप्त हुए. कहा जाता है कि समुद्र मंथन से 14 बहुमूल्य रत्न निकले थे, जिनका हिंदू धर्म और आज के समय में भी बहुत महत्व है. जानते हैं समुद्र मंथन से प्राप्त हुए इन 14 रत्नों के बारे में.
हलाहल विष
सबसे पहले समुद मंथन में हलाहल विष निकला. शिवजी देवता,असुर और समस्त सृष्टि की रक्षा हेतू इस विष को स्वयं पी गए. विष के कारण उनका कंठ नीला पड़ गया था. इसीलिए शिवजी के कई नामों में उनका एक नाम नीलकण्ठ भी पड़ा.
कामधेनु गाय
समुद्र मंथन से कामधेनु गाय भी निकली. कामधेनु गाय को गायों की सर्वश्रेष्ठ प्रजाती माना जाता है. समुद्र मंथन से निकली कामधेनु गाय ऋषि-मुनियों को प्राप्त हुई.
उच्चै:श्रवा घोड़ा
सफेद रंग का उच्चै:श्रवा घोड़ा जोकि आकाश में भी उड़ सकता था, यह भी समुद्र मंथन से निकला. यह घोड़ा असुरों के राजा बलि को दिया गया.
ऐरावत हाथी
सभी हाथियों में श्रेष्ठ एरावत हाथी भी समुद्र मंथन से निलका. सफेद रंग के इस अद्भुत हाथी में उड़ने की शक्ति थी. एरावत हाथी इंद्र देव को प्राप्त हुई और उन्होंने इसे अपना वाहन बना लिया.
कौस्तुभ मणि-
बहुमूल्य रत्न कौस्तुभ मणि भी समुद्र मंथन से निकली. इस दिव्य तेज वाली मणि को स्वयं भगवान विष्णु ने धारण किया.
कल्पवृक्ष
दिव्य औषधि वाला कल्पवृक्ष भी समुद्र मंथन से निलका जो इंद्र देव ने लिया.
रंभा
सुंदर अप्सरा रंभा भी समुद्र मंथन से निकली. यह देवताओं को मिली जोकि इंद्र देव के सभा की नृत्यांगना बनी.
लक्ष्मी जी
समुद्र मंथन से भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को पुनः प्राप्त किया. दरअसल विष्णुजी के सृष्टि संचालन में व्यस्त रहने के कारण लक्ष्मी जी समुद्र में समा गयी थीं. लेकिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी भी बाहर आईं. लक्ष्मी जी ने स्वयं भगवान विष्णु के पास जाने का निर्णय किया.
वारुणी
वारुणी एक प्रकार का मदिरा है जोकि समुद्र मंथन से निकला. वारुणी यानी मदिरा असुरों को प्राप्त हुआ.
चंद्रमा
चंद्रमा भी समुद मंथन से निलका. भगवान शिव ने इसे अपनी जटाओं में धारण कर लिया.
पांचजन्य शंख
दुर्लभ और बहुमूल्य शंख पांचजन्य भी समुद्र मंथन से निकला. इस शंख को भगवान विष्णु ने अपने पास रखा.
पारिजात
समुद्र मंथन से निकले पारिजात वृक्ष का हिंदू धर्म में खास महत्व है. पूजा में पारिजात के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
शारंग धनुष
चमत्कारिक धनुष शारंग समुद्र मंथन से निकला था जोकि भगवान विष्णु को प्राप्त हुआ.
अमृत कलश
आखिर में समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला. भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से निकलें. देवताओं और असुरों के बीच अमृत को प्राप्त करने के लिए विवाद हुआ. लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृतपान करा दिया.
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