देवताओं में प्रथम स्थान रखने वाले भगवान गणेश जी की पूजा के लिए संकष्टी चुतर्थी की तिथि बहुत ही शुभ माना गया है. इस दिन व्रत रखने का विधान है. गणेश चतुर्थी के दिन विधि पूर्वक गणेश जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है
चतुर्थी की तिथि महीने में दो बार आती है. एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहलाती है.
व्यापार में आने वाली बधाएं होती हैं दूर
विधार्थियों के लिए यह दिन बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है. इसके अतिरिक्त व्यापार से जुड़े लोगों के लिए भी संकष्टी चतुर्थी का दिन बहुत ही अच्छा माना गया है. संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से शिक्षा में आने वाली रूकावट दूर होती है. व्यापार में लाभ की स्थिति बनती है और घर में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है.
इस दिन व्रत रखने से संकटों से मिलती है मुक्ति
संकट से मुक्ति दिलाने में इस संकष्टी को सबसे प्रभावी माना गया है. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा गया है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की आराधना और विधि पूर्वक व्रत रखने से संकट से निजात मिलती है. आर्थिक संकटों से जूझ रहे लोगों को इस दिन व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दे जाती है. भगवान गणेश को दरिद्रता, गंभीर रोग को रोगों को दूर करने वाला माना गया है. इसलिए इस दिन की पूजा का विशेष महत्व माना गया है.
पूजा विधि
चतुर्थी तिथि में प्रात:काल स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर गणेश को स्थापित कर पुष्प,फल, मिठाई और उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाकर उपवास आरंभ करना चाहिए. शाम के समय गणेश जी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए.
गणेश मंत्र
ओम गणेशाय नम:
ऊँ गं गणपतये नम: