संकष्टी चतुर्थी गणेश जी को प्रसन्न करने का दिन है. ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है. जीवन में कैसा भी संकट हो उसे गणेश की आराधना से दूर किया जा सकता है. सच्चे मन और पूरे विधान से जो भी भक्त गणेश की आराधना, व्रत और मंत्रों का जाप करता है तो उसे गणेश जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि गणेश जी अपने भक्त को संकटों से बचाते हैं और हर प्रकार से आर्शीवाद और मदद प्रदान करते हैं.


अंधे को आंख देत, कोढ़िन को काया
गणेश जी की कृपा जिस पर होती है उसे कोई रोग नहीं होता है. सच्चे मन से गणेश जी की पूजा करने से आंखों की रोशनी भी वापिस आ जाता है. वहीं जो लोग किसी भी प्रकार की त्चचा संबंधी रोग से परेशान हैं उनके लिए भी भगवान गणेश जी की पूजा लाभकारी साबित होती है.


बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया
गणेश जी का आर्शीवाद जिन्हें प्राप्त होता है उनके जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती है. उन्हें गणेश जी कृपा से हर प्रकार के सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं. वहीं जिन लोगों को पुत्र प्राप्ति में बाधा आती है उनकी भी मुराद गणेश जी पूरी करते हैं.


कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी
गणेश जी सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं. गणेश जी के बारे में मान्यता है कि वे बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है. भक्तिभाव से जो भी उन्हें स्मरण करता है वे उसे निराश नहीं करते हैं क्योंकि सभी पर कृपा करते हैं. सभी की रक्षा करते हैं. इसलिए आज के दिन गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है.


चन्द्रोदय का समय
10 मई रविवार, समय - 22: 19

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है, पूर्ण लाभ के लिए इन बातों का रखें ध्यान