Sankashti Chaturthi December 2021: साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी कब है, जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि
Sankashti Chaturthi 2021: हर माह दो चतुर्थी व्रत रखे जाते हैं, जो कि गणेश जी को समर्पित होती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है.
Sankashti Chaturthi 2021: हर माह दो चतुर्थी व्रत रखे जाते हैं. संकष्टी चतुर्थी गणेश जी (Sankashti Chaturthi 2021) को समर्पित होती है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) के नाम से जानी जाती है. साल 2021 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी. सकंष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा (Ganesh Puja) की जाती है. श्री गणेश की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं.
बुधवार के दिन पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) को ज्यादा शुभ माना जाता है. इस बार साल की आखिरी सकंष्टी चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है. ऐसे में बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित होता है, और उस दिन संकष्टी चतुर्थी होने के कारण अधिक फलदायी होगी. इस दिन गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखा जाता है. इस दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से भक्तों के दुखों का नाश होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का पूजा मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.
संकष्टी चतुर्थी पूजन मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Puja Muhurat 2021)
तिथि: 22 दिसंबर , 2021, बुधवार
पूजन मुहूर्त: रात्रि 08:15 से रात्रि 09:15 तक (अमृत काल)
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात्रि 08:30 से रात्रि 09:30 तक
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद ईशान कोण में चौकी स्थापित कर उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें.
- गणेश जी के आगे हाथ जोड़कर पूजा करें और व्रत का संकल्प लें.
- गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें.
- ॐ 'गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें.
- इसके बाद केले के पत्ते पर रोली से चौक बनाएं. चौक के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें.
- पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.
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