Sankashti Chaturthi 2021: हर पूजन में पहले क्यों पूजे जाते हैं गणेश जी, जाने इसके पीछे की कहानी
25 अगस्त को मनाई जा रही संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गजानन की पूजा की जाती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 25 अगस्त को दोपहर 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 5 बजकर 13 मिनट पर खत्म होगा.

Sankashti Chaturthi 2021: पंचाग के अनुसार हर मास में दो चतुर्थी आती हैं. इस बार संकष्टी चतुर्थी 25 अगस्त को मनाई जा रही हैं. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गजानन की पूजा की जाती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 25 अगस्त को दोपहर 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 5 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. संकष्टी चतुर्थी को बहुला या फिर हेरम्बा संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में चतुर्थी के व्रत का काफी महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गजानन अपने भक्तों के सभी संकट हर लेते हैं इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
पहले क्यों पूजे जाते हैं गजानन
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि गणेश जी सारे विघ्न हर लेते हैं, इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता कह कर भी पुकारा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में किसी भी पूजन में पहली पूजा गणेश जी की क्यों की जाती है? आइए डालते हैं एक नजर इनकी कहानी पर-
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी के विवाह के समय श्रीहरि की ओर से सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया था. शादी के दिन बारात की तैयारी के समय जब सबने देखा कि गणेश जी तो विवाह में दिख नहीं रहे, तो विष्णु जी से गजानन के न आने का कारण पूछा. इस पर उन्होंने कहा कि हमने पिता भोलेनाथ को निमंत्रण दे दिया था. अगर गणेश जी उनके साथ आना चाहें, तो आ सकते हैं. उन्हें अलग से न्यौता देने की जरूरत नहीं है. तभी बारात में मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें सुझाव दिया कि अगर गणेश जी आ भी जाते हैं, तो उन्हें घर के बाहर द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे. वे चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलेंगे और बारात से बहुत पीछे रह जाएंगे. विष्णु जी को ये सुझाव काफी पसंद आया और उन्होंने गणेश जी को बुलाने की हामी भर दी.
गणेश जी का यूं किया अपमान
इस बीच गणेश जी वहां पहुंचे , तो उन्हें घर के बाहर बैठकर घर की रखवाली करने को कह दिया गया. बारात चल दी, लेकिन गणेश जी घर के बाहर द्वारपाल की तरह ही बैठे रहे. जब उन्हें नारद जी ने देखा, तो बारात में न जाने का कारण पूछा. गजानन ने उन्हें बताया कि मुझे विष्णुजी ने द्वारपाल बनाकर मेरा अपमान किया है. ऐसा सुन नारद जी ने सलाह दी कि आप अपनी मूषक सेना बारात से आगे भेज दें. वह वहां जाकर रास्ता खोद देंगे, जिससे उनका रथ धरती में धंस जाएगा. तब आपकी सम्मानपूर्वक वापसी होगी. नारद जी के कहे अनुसार गणेश जी ने ऐसा ही किया. मूषक सेना ने आगे जाकर रास्ता खोद दिया. इससे रथ के पहिए वहीं धंस गए और जगह-जगह से टूट गए. ऐसा देख नारद जी ने कहा कि आपने गणेश जी का अपमान करके अच्छा नहीं किया. उन्हें मनाकर लाएंगे तभी आपके कार्य सिद्ध हो सकते हैं. इस पर भोलेनाथ ने दूत नंदी को गणेश जी के पास भेजा. गणेश जी को बारात में लेकर आया गया और उनका खूब आदार-सत्तकार के साथ पूजन किया गया. तब जाकर रथों के बाहर निकाले गए.
किसानों ने दी देवी-देवताओं को सलाह
रथ के पहिए पूरी तरह से टूट चुके थे. पास में काम कर रहे किसानों को रथ निकालने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने श्री गणेशाय नमः कह कर रथ को बाहर निकाल दिया और गणेश जी की वंदना करने लगे. देखते ही देखते रथ के पहिए ठीक हो गए. तब किसानों ने देवी-देवताओं को कहा कि 'आपने सर्वप्रथम गणेश जी को नहीं मनाया होगा, और न ही पूजा की होगी. इसलिए तो आपके साथ ये संकट आया है.' इसलिए हर शुभ कार्य से पहले विघ्न हटाने के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है.
Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी पर होती है गजानन की पूजा, जानें तारीख और महत्व
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