Sankashti Chaturthi: 11 अप्रैल 2020 को संकष्टी चतुर्थी  है. चैत्र मास के शुक्लपक्ष की संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में चल रहे कई संकटों को दूर करने मेें मदद मिलती है. इस दिन गणेश जी की पूजा विधि विधान से करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. संकष्टी चतुर्थी  को चन्द्रोदय रात 10 बजकर 31 मिनट पर है.


इस दिन पूजा करने से जिन लोगों की जन्म कुंडली में बुध ग्रह अशुभ चल रहे हैं उन्हें इस दिन पूजा करने से लाभ मिलता है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है. शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विधार्थियों को इस पूजा से विशेष उर्जा मिलती है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत स्त्रियों में अधिक प्रचलित है. संतान प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस दिन गणेश जी का व्रत रखती हैं.


पूजा विधि


संकष्टी चतुर्थी के दिन हवन किया जाता है. स्नान करने के बाद पूजा स्थान को शुद्ध करने के बाद भगवान गणेश को पुष्प और उनकी प्रिय वस्तुओं का चढ़ाकर स्तुति करनी चाहिए. इस दिन हवन और पूजा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है.


गणेश जी की आरती


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी.
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया.
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया.
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी.
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी.


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