Sankashti Chaturthi: भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन को माना गया है. 6 जुलाई से सावन मास का आरंभ हो चुका है. चार्तुमास भी शुरू हो चुके हैं. चार्तुमास में पृथ्वी की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में होती है. चातुर्मास में भगवान शंकर पृथ्वी का भ्रमण करते हैं. गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. 8 जुलाई की संकष्टी चतुर्थी कई मायनों में विशेष है.


प्रथम सावन की पहली संकष्टी है और दूसरी विशेष बात ये है कि इस दिन बुधवार का दिन है. बुधवार का दिन गणेश जी का दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा विशेष फलदायी है.


गणेश जी हैं बल, बुद्धि और विवेक के दाता
किसी भी कार्य को आरंभ करने से पहले सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है. इन्हें सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है. गणेश जी को बल, बुद्धि और विवेक प्रदान करने वाला माना गया है. गणेश जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के विघ्न यानि बाधा को दूर करते हैं. इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. जिन लोगों के जीवन में कोई कष्ट हैं उनके लिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विशेष परिणाम देने वाली मानी गई है, क्योंकि संकष्टी का अर्थ ही संकट को हरने वाली चतुर्थी है.


गणेश पूजा
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. इस दिन पूजा में भगवान गणेश जी की प्रिय चीजों का अर्पण और भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा करनी चाहिए. तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है.


संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 8 जुलाई को प्रात: 09 बजकर 18 मिनट
चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 जुलाई को प्रात: 10 बजकर 11 मिनट
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात्रि 10 बजे


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