Santoshi Mata Vrat: माता संतोषी दुखों का नाश करने वाली देवी हैं. इस व्रत को सुहागिन स्त्रियां रखती हैं. इस व्रत को रखने से पति की उम्र में भी वृद्धि होती है और धन के मामले में कोई बाधा नहीं आती है. इस व्रत को रखने से घर में सुख समृद्धि आती है. आइए जानतें हैं इस व्रत के बारे में.


पुराणों में कहा कि विशेष दिनों में की जाने वाली पूजा का सर्वोत्तम फल मिलता है. विशेष बात ये है कि माता संतोषी का व्रत महिलाओं के साथ- साथ पुरुष भी रख सकते हैं. इस व्रत में नियम का बहुत महत्व है. इसलिए इस व्रत में विशेष संयम और निषेध पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.


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माता संतोषी के 16 व्रत
माता संतोषी की पूजा 16 शुक्रवार करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. इस व्रत का समापन पूरे श्रद्धाभाव से किया जाना चाहिए. समापन उद्यापन में सुहागन महिलाओं को घर में बुलाकर भोजन और प्रसाद खिलाया जाता है. उपहार भी दिए जाते हैं.


पूजन विधि और सामग्री
पूजा करने से पूर्व जल से भरे पात्र के ऊपर एक कटोरी में गुड और भुने हुए चने रखें. दीपक जलाएं. व्रत को करने वाला कथा कहते समय हाथों में गुड और भुने हुए चने रखे. दीपक के आगे या जल के पात्र को सामने रख कर कथा प्रारंभ करें. कथा पूरी होने पर आरती, प्रसाद का भोग लगाएं. हाथ के गुड और चना गौमाता को खिलाएं. कलश पर रखा गुड-चना को प्रसाद के रूप में बांट दें. कलश के जल को घर में सभी कोनों में छिडकें.


माता संतोषी की आरती


जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता .
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता . जय…


सुंदर चीर सुनहरी, माँ धारण कीन्हो .
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो . जय…


गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे .
मंद हँसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे . जय…


स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे .
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे . जय…


गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो.
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो . जय…


शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही .
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही . जय…


मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई .
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई . जय…


भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै .
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै . जय…


दुखी, दरिद्री, रोगी, संकटमुक्त किए .
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए . जय…


ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो .
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो . जय…


शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे .
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे . जय…


संतोषी माँ की आरती, जो कोई नर गावे .
ॠद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे . जय…


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