Naag panchami 2021 :  मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के परिसर में ही नागचंद्रेश्वर मंदिर है. यह मंदिर पूरे वर्ष में सिर्फ एक बार नागपंचमी को ही भक्तों को दर्शनों के लिए खुलता है. पौराणिक महत्व और मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने वाले भक्त हमेशा के लिए सांपों के भय से मुक्त हो जाता है. इसके बाद वह सर्पदोष से मुक्त हो जाता है. इस दिन यहां आने वाले हजारों श्रद्धालु कुंडली में कालसर्प दोष दूर कराने के लिए विशेष पूजा भी करवाते हैं.


श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी कही जाती है. इस दिन सांपों की पूजा का ज्योतिषीय महत्व भी माना गया है. इस दिन शिव भक्त तमाम मंगलकामनाओं के साथ कालसर्प दोष दूर करने के लिए विधि-विधान से नाग देवता के दर्शन कर पूजा करते हैं. इस बार नाग पंचमी 12 अगस्त को दोपहर 03:24 बजे शुरू होकर 13 अगस्त 2021 की दोपहर 01:42 बजे तक रहेगी. 


केरल के सर्प मंदिर में दर्शन मात्र से भरती है सूनी गोद
नाग पूजा के लिए केरल का एक मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां नागों की हजारों प्रतिमाएं बनी हैं. लोग इसे स्नेक टेम्पल भी पुकारते हैं. केरल के अलेप्पी जिले के जंगल में स्थित इस मंदिर को नागों का महातीर्थ कहा जाता है, यहां पूजा से लोगों की सूनी गोद भर जाती है और सुंदर संतान मिलती है. इसी तरह प्रयागराज के नाग मंदिर में भी कालसर्प दोष की विशेष पूजा को लोग काफी दूर से आते हैं.


नागों को चढ़ाएं ये प्रसाद
नाग पूजन के लिए सिंवई और चावल जैसे ताजा भोजन बनाएं, कुछ जगहों पर नागपंचमी से एक दिन पहले ही भोजन बनाकर रख लिया जाता है तो कुछ जगह बासी यानी ठंडा भोजन इस्तेमाल होता है. नागपूजा के लिए दीवार पर गेरू पोतकर पूजा स्थल बनाया जाता है.


व्रतधारी खुद के लिए बनाए ये भोजन
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि नाग पंचमी व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन आटे या मिट्टी का नाग बनाना चाहिए. फिर रंगों से सजाकर अक्षत्, फूल, दीप, खीर और नारियल अर्पित कर पूजा करनी चाहिए. पंचमी की पूजा में भुने जौ और चने का प्रसाद बांटा जाता है.


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