Pitru Visarjan Amavasya 2021: हिंदू पंचाग (hindu calander) में सर्व पितृ अमावस्या (sarva pitru amavasya) का काफी महत्व है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या (pitru visarjan amavasya) भी कहा जाता है. इस साल ये अमावस्या 6 अक्टूबर को है. धार्मिक दृष्टि से अनुसार ये पिृत पक्ष (pitru paksha) का आखिरी दिन होता है. इस दिन मृत्यु लोक से आए हुए पितृजन वापस लौट जाते हैं. इस दिन जो लोग श्रद्धा और विश्वास से अपने पितरों को विदा करते हैं उनके पितृ देव (pitru dev) उनके घर खुशियों से भर देते हैं. पंचाग (panchang) के अनुसार अश्विन मास (ashwain month) की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मोक्षदायिनी अमावस्या (mokshadayini amavasya) भी कहा जाता है. इस दिन तर्पण (tarapan) , पिंडदान (pinddaan), दान आदि का विशेष महत्व है. सर्व पितृ शब्द सभी पूर्वजों को दर्शाता है. इस दिन उन सभी पूर्वजों या पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि का पता न हो, या फिर याद न हो. 


सर्व पितृ अमावस्या मुहूर्त (sarva pitru shubh muhurat)
अमावस्या तिथि शुरू: शाम 19:04 बजे ( 05 अक्तूबर 2021) से
अमावस्या तिथि समाप्त: दोपहर 16 :34 बजे (06 अक्तूबर 2021) तक



सर्व पितृ अमावस्या का महत्व (sarva pitru importance)
सर्व पितृ अमावस्या इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध (sharadh) किया जाता है. इस अमावस्या पर पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक और शारीरिक शांति तो प्राप्त होती ही है, साथ ही घर में सुख-समृद्धि भी आती है. इस अमावस्या पर सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हालांकि, हर महीने की अमावस्या को पिंडदान (pinddan on amavasya) किया जाता है, लेकिन अश्विन मास की अमावस्या को अधिक फलदायी माना जाता है. इतना ही नहीं, धार्मिक मान्यता ये भी है कि इस दिन पितर अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं. ऐसे में अगर उन्हें पिंडदान न मिले तो वे शाप देकर जाते हैं. इससे घर में कलह-कलेश होने लगते हैं और घर में सुख-समृद्धि में कमी आती है. और हर कार्य बिगड़ने लगते हैं. इसलिए श्राद्ध कर्म जरूर करने चाहिए. 


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