Shani dev Shrap: शनि देव को कर्म फल दाता कहा जाता है. शनिवार शनि देव को समर्पित है. इस दिन शनि देव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. शनि देव क्रोधी स्वभाव के हैं. जिसपर शनि देव प्रसन्न होते हैं वो रंक से राजा हो जाता है और जिसपर शनि देव का क्रोध बरसता है उसके जीवन में कई परेशानियां लगी रहती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव को एक बार उनकी पत्नी ने ही श्राप दे दिया था.
पत्नी को इसलिए आया शनि देव पर क्रोध
पौराणिक कथा के अनुसार, बचपन से ही शनि देव श्रीकृष्ण के भक्त थे. शनिदेव का विवाह चित्ररथ की पुत्री हुआ था. उनकी पत्नी परम तेजस्विनी थीं. एक समय की बात है, शनि देव की पत्नी संतान प्राप्ति की इच्छा मन में लिए पति के पास पहुंची. लेकिन शनिदेव श्रीकृष्ण की आराधना में लीन थे. पत्नी के लाख जतन के बाद भी शनिदेव का ध्यान भंग नहीं हुआ. पत्नी प्रतीक्षा करके थक गई. क्रोध में आकर शनिदेव की पत्नी ने अपने ही पति को श्राप दे दिया.
इसलिए नीचे सिर झुकाकर चलते हैं शनिदेव
शनिदेव की पत्नी ने श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद जिस पर भी शनि की नजर पड़ेगी, वो तबाह हो जाएगा. जब शनिदेव की तपस्या खत्म हुई उसके बाद उन्होंने पत्नी समझाया कि आखिर क्यों उन्होंने पत्नी की बात नहीं सुनी. पूरा वाक्या जानकर शनि देव की पत्नी को खुद पर पश्चाताप हुआ. उनकी पत्नी को लगा कि उन्होंने बेवजह अपने ही पति को श्राप दे दिया. हालांकि पत्नी के पास श्राप को वापस लेने की शक्ति नहीं थी. यही वजह है कि उस दिन के बाद से शनि अपना सिर नीचे झुकाकर चलते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव की पूजा करते समय भी उनसे नजर नहीं मिलानी चाहिए.
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