शनिदेव 23 मई 2021, रविवार को वक्री हो रहे हैं. वे 16 अक्टूबर 2021 तक उलटी चाल चलेंगे. वे 16 अक्टूबर की सुबह प्रातः 7 बजकर 50 मिनट पर पुनः मार्गी होंगे. वर्तमान वे श्रवण नक्षत्र में मार्गी हैं. इसी नक्षत्र में वक्री होंगे. 141 दिन तक वक्री रहेंगे. श्रवण नक्षत्र को चंद्रमा का नक्षत्र माना जाता है. चंद्रमा ग्रहों में सबसे तेज चलने वाले देव हैं. शनिदेव सबसे धीमे गति करते हैं. चंद्रमा एक नक्षत्र में एक दिन रहते हैं. शनिदेव एक माह तक नक्ष़त्र के एक अंश में संचार करते हैं. इस प्रकार शनिदेव एक नक्षत्र में लगभग 13 माह 20 दिन रहते हैं. एक नक्षत्र 13 अंश 20 कला का होता है.
यह अद्भुत संयोग कई वर्षाें के बाद बनता है जब चंद्रमा के नक्षत्र में शनि देव वक्री होते हैं. अन्य ग्रहों की तरह ही वक्री गति में शनिदेव की तेजी बढ़ जाती है. चंद्रमा के प्रभाव से शनिदेव शीतलता और सामंजस्य बढ़ाएंगे.
मानसून का आगमन शनिदेव की वक्री गति में होगा. चंद्रमा और शनि के प्रभाव इस बार बारिश अच्छी होगी. साथ हवा का प्रभाव अर्थात् आंधी तूफान भी देखने को ज्यादा मिलेंगे.चंद्रमा सभी राशियों और ग्रहों के लिए समता और मित्रता का भाव रखते हैं. इस दौरान शनिदेव की दृष्टि चंद्रमा के प्रभाव सहज तीक्षणा वाली होगी. शनिदेव से पीड़ित लोगों को आंशिक राहत रहेगी.