Fourth Jyotiling Omkareshwar Temple: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में स्थित है. जहां पर बाबा ओंकारेश्वर स्थित है उसके समीप नर्मदा नदी बहती है. पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ओम का आकार बनता है. कहा जाता है कि ओम शब्द की उत्पति ब्रह्मा जी के मुख से हुई है. विशेष बात ये है कि यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ओम का आकार लिए हुए है. इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है.


इस ज्योतिर्लिंग को भगवान भोलेनाथ का चौथा ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग दर्शन और पूजा कराना बहुत ही शुभ माना जाता है. जिस कारण सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में शिवभक्त आते हैं. ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग में भगवान के दो रूपों की पूजा की जाती है. यहां पर ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पूजा होती है. शिव पुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग कहा गया है.


शिवजी की जटा से निकली कावेरी नदी
पौराणिक कथा के अनुसार धनपति कुबेर भगवान के परम भक्त थे. कुबेर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की. इसके लिए उन्होंने एक शिवलिंग स्थापित किया. भगवान शिव कुबेर की भक्ति से प्रसन्न हुए और कुबेर को देवताओ का धनपति बना दिया.


भगवान शिव ने कुबेर के स्नान के लिए अपनी जटा के बाल से कावेरी नदी उत्पन्न की थी. यही नदी नर्मदा में मिलती है. यहां पर कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगते हुए संगम पर वापस नर्मदा से मिलती हैं. जिसे नर्मदा और कावेरी का संगम कहा जाता है. चातुर्मास के समाप्त होने के बाद धनतेरस पर विशेष पूजा की जाती है.


राजा मान्धाता ने की कठोर तपस्या
एक कथा के अनुसार सूर्य वंशी राजा मान्धाता ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर राजा ने कहा कि प्रभु जनकल्याण के लिए इस स्थान को अपना लें. अर्थात वे इस स्थान को अपना निवास स्थान बना लें. भगवान शिव ने राजा की इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और यहां पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए.


राजा के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत पड़ा. यह पर्वत सदैव जलमग्न रहता है. कहा जाता है कि माता नर्मदा नर्मदा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर का जलाभिषेक करती हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण किसी मनुष्य ने नहीं किया है बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है.


Hariyali Teej 2020: 23 जुलाई को है हरियाली तीज का पावन पर्व, जानें मुहूर्त और पूजा विधि