Sawan 2021: बिहार के मधुबनी के भवानीपुर गांव में बना उगना महादेव या उग्रनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यता सावन में महादेव के भक्तों के लिए किसी आगाध प्रेरणा से कम नहीं है. लोक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव ने खुद मैथिली के महाकवि विद्यापति के घर सिर्फ दो समय के भोजन के वेतन पर नौकरी की थी. महाकवि विद्यापति शिवजी के अनंत भक्त थे. मान्यता अनुसार भगवान शिव विद्यापति की भक्ति और रचनाओं से बेहद खुश हुए और एक दिन भेष बदलकर उनके पास आ गए. विद्यापति के साथ रहने के लिए शिवजी उनके घर नौकर तक बनने को तैयार थे. प्रभु ने विद्यापति को अपना नाम उगना बताया, लेकिन बेहद गरीब होने के चलते उन्होंने उगना को नौकरी पर रखने से मना कर दिया. मगर उगना के कहने पर सिर्फ दो खुराक भोजन पर उन्हें रख लिया.


किवंदती के अनुसार एक दिन विद्यापति राज दरबार में जा रहे थे तो तेज गर्मी से उनका गला सूखने लगा. आसपास पानी नहीं मिलने पर उन्होंने साथ चल रहे उगना (शिवजी) से पानी लाने के लिए कहा. इस पर शिवजी थोड़ी दूर गए और अपनी जटाएं खोलकर एक पात्र भरकर गंगाजल ले आए. इसे पीकर विद्यापति को अहसास हो गया कि यह साधारण नहीं, बल्कि गंगा जल है, लेकिन शक हुआ कि बीच जंगल में गंगा जल कहां से आया. उन्हें संदेह हुआ कि कहीं उगना खुद शिव ही तो नहीं. उन्होंने शिव के चरण पकड़ लिए तो शिव को वास्तविक रूप में आना पड़ा. शिवजी ने विद्यापति के साथ रहने की इच्छा जताते हुए कहा कि वह उगना के गुप्त रूप में ही रहेंगे.


विद्यापति मान गए. मगर एक दिन उगना की गलती पर विद्यापति की पत्नी शिवजी को चूल्हे की जलती लकड़ी से पीटने लगी. इतने में विद्यापति वहां आ गए और चीख उठे कि उगना साक्षात भगवान शिव हैं, तुम इन्हें ही मार रही हो, इतना सुनते ही शिवजी अंर्तध्यान हो गए. अपनी भूल पर पछताते हुए विद्यापति वनों में शिवजी को खोजने लगे. प्रिय भक्त की ऐसी दशा देखकर भगवान फिर प्रकट हुए और समझाया कि मैं साथ नहीं रह सकता, लेकिन उगना के रूप में शिवलिंग के रूप में तुम्हारे पास रहूंगा. इसके बाद वहीं स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गया, जो आज भी उगना महादेव या उग्रनाथ के नाम से प्रसिद्ध है.


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