Sawan 2021: शिवलिंग की करनी चाहिए आधी परिक्रमा, जानिए क्या है विधान
Sawan 2021: शिव मंदिरों में आने वाले भक्तों को आपने परिक्रमा करते हुए आधी दूरी से ही लौट आते देखा होगा लेकिन भला ऐसा क्यों? यह सवाल मन में उठता है. जानिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा की वजह.
Sawan 2021: सावन माह में शिवजी को प्रसन्न कर मनवांछित फल पाने के लिए हर भक्त ईष्टदेव की हर तरह से उपासना करने के लिए तैयार रहता है. इसमें चाहे खास विधान हो या रस्म सब कुछ का ध्यान रखना पड़ता है, इसी तरह शिवालय में परिक्रमा का भी विधान है.
हर शिवालय में शिवजी की मूर्ति भले ही आपको किनारे, सामने या कोने में दिख सकती है, लेकिन शिवलिंग बीचोबीच ही मिलता है. इसके ठीक ऊपर एक पात्र होगा, जहां से जल, दूध या शहद का अभिषेक होता रहता है और भक्त पूजा अर्चना करते हुए शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं लेकिन शिवलिंग से अभिषेक किए जा रहे द्रव्यों के बाहर निकलने के लिए नालीनुमा रास्ता होता है, जो गौमुखी कहा जाता हैं. इससे ही अभिषेक का द्रव्य बाहर निकलता है. चूंकि यह अभिषेक द्रव्य भगवान को अर्पित किए जाने के बाद बेहद पवित्र माना जाता है, इसी कारण श्रद्धालु इसे गलती से भी पार नहीं करते हैं. यही वजह है कि शिवलिंग की परिक्रमा करते समय शिवलिंग की घड़ी की सीधी और उल्टी दोनों दिशाओं से परिक्रमा की जाती है.
शिवपुराण के अनुसार शिवजी आदि और अंत दोनों हैं. महादेव से प्रवाहित होने वाली शक्ति और ऊर्जा अनंत है. इसे कहीं समेटना या रोक पाना असंभव है. गौमुखी/निर्मली इस अनंत ऊर्जा या शक्ति का प्रतीक है. यह माना गया है कि शिव की शक्ति में कोई भी दखल नहीं दे सकता है. इसलिए गौमुखी को पवित्र मानते हुए उसे पार करना प्रतिबंधित है. मान्यता ये भी है कि अर्ध परिक्रमा का कारण आधार भूत लिंग हैं. दूसरा कारण सुन्दर कांड है, जो अर्ध परिक्रमा का ही कर्म था. यह प्रकृति अर्ध भाग में स्थित है, जिस कारण से अर्ध नारीश्वर रूप को दिखाया गया.
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