Sawan 2021: भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय जल की धारा है, यही कारण है कि असंख्य शिव भक्त प्रभु का अभिषेक शुद्ध जल से करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पृथ्वी पर भरपूर बारिश होती है और सभी प्रकार के ज्वर शांत होते हैं. लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना लाभप्रद बताया गया है. गाय के दूध से शिवलिंग पर अभिषेक से अपनी मनचाही संतान की प्राप्ति होती है.
चीनी मिश्रित दूध से अभिषेक से बुद्धि में श्रेष्ठता आती है, जड़ता का उन्मूलन होता है. शहद से अभिषेक करने पर व्यक्ति के पापों का नाश होता है. टीबी के रोगियों को बीमारी से लाभ मिलता है. घी से अभिषेक करने पर जीवन में आरोग्यता आती है और वंश वृद्धि होती है. सरसों तेल से अभिषेक पर श्रद्धालु के शत्रुओं का नाश होता है. सभी कार्यों में सफलता मिलती है. किसी व्यक्ति को मोक्ष की कामना है तो उसे तीर्थों के जल से अभिषेक करना चाहिए.
इसलिए होता है शिव का अभिषेक
मान्यता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के बाद विषपान किया था तो उनके गले में काफी जलन होने लगी थी. इसे शांत करने के लिए देवी-देवताओं समेत फूलों के वासियों ने उन्हें जल अर्पित करना शुरू कर दिया. इससे उनके गले और मस्तिष्क में थोड़ी ठंडक आई. यही वजह है कि बहुसंख्यक भक्त शिवजी को गंगाजल या शुद्ध जल अर्पित करते हैं.
एक और किवदंती है कि विषपान कर सृष्टि की रक्षा करने के कारण सभी देवताओं ने भगवान शिव का गुणगान कर जल अर्पित किया. विष का प्रभाव और ताप कम करने और शिव को राहत देने के लिए शिवजी को सावन में जल चढ़ाया जाता है.
मस्तिष्क की गर्मी कम करने के लिए स्वर्ग से डाला गया पानी
शिवजी का कंठ नीला पड़ गया और महादेवजी को 'नीलकंठ' कहा जाने लगा. मगर विष की ज्वाला से भोलेनाथ का मस्तक गर्म हो गया. ऐसे में देवताओं ने शिवजी के मस्तिष्क की गर्मी घटाने के लिए जल डालना शुरू कर दिया और ठंडी तासीर होने से बेलपत्र चढ़ाए गए.
सावन में जलाभिषेक के फायदे
- धन और संपदा मिलती है.
- जल चढ़ाने से सम्मान की प्राप्ति.
- शारीरिक-मानसिक पाप नष्ट होते हैं.
- स्वर्ण शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे.
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