Sawan Shiva Mantra Upay: हिंदू धर्म में देवी देवताओं की कृपा व वरदान पाने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा करने एवं मन्त्रों का जप करने का विधान है. इनमें मंत्र जाप को अधिक प्रभावी बताया गया है. मान्यता है कि कलयुग में मंत्रों के जाप करने से ईश्वर की तुरंत कृपा प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता है कि सावन में प्रतिदिन शिव की साधना करें और शिव से जुड़े इन मंत्रों का जप करें तो बहुत जल्द ही अपने जीवन से जुड़े तमाम तरह के दु:खों, कष्टों और पापों का नाश हो जाएगा तथा बिगड़े काम बनने लगेंगे. आइये जानें इन मंत्रों के बारे में:-


कारोबार में वृद्धि के लिए करें इस मंत्र का जाप: यदि आपके कारोबार में कई तरह की बाधाएं आ रही हों और व्यवसाय में लाख चाहने के बाद भी आपका मन न लग रहा हो. ऐसे में कारोबार को पटरी पर लाने के लिए सावन मास में भगवान शिव की साधना करनी चाहिए और नीचे दिए गए मन्त्रों का कम से कम 51 बार जाप करके कपाली कुटिका को उस स्थान पर रखें जहां व्यवसाय स्थल पर धन रखते हों. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यवसाय में लाभ होगा. मंद पड़ा कारोबार बढ़ जायेगा.



शिव मंत्र: विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे। श्रेय:प्राप्तिनिमित्ताय नम: सोमाद्र्धधारिणे।।


ऊपरी बाधा और नजर दोष दूर करने के लिए करें इस शिव मंत्र का जाप


यदि आप ऊपरी बाधा, भूत –प्रेत या नजर दोष से पीड़ित हैं.या आपके ऊपर तंत्र–मंत्र जैसी चीज करवा दी गई है और आप हमेशा शारीरिक या मानसिक कष्ट  से पीड़ित हैं. तो इन सबसे मुक्ति पाने के लिए सावन के महीने में शिवगौरी यंत्र का विधि–विधान से पूजन करके नीचे दिये गये रुद्राष्टकम् के इस मंत्र का जरूर पाठ करना चाहिए. इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना उत्तम होगा. 


शिव महामंत्र:


प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं।


त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्।।


राजनीति में सफल होने केलिए या उच्च पद पाने के लिए करें इस मंत्र का जप 


यदि आप राजनीति में सफलता प्राप्त करना चाहते है या कोई उच्च पद प्राप्त करना चाहते हैं, तो सावन मास में भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए. इसके बाद त्रिपुरारी माला का विधि–विधान से पूजन करें, एवं नीचे दिये गये मंत्र से इस माला को अभिमंत्रित करके गले में धारण करें. मान्यता है कि इससे राजनीति में जल्द ही सफलता मिलेगी.


मंत्र: ॐ देवाधिदेव देवेश सर्वप्राणभूतां वर। प्राणिनामपि नाथस्त्वं मृत्युंजय नमोस्तुते।।