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Sawan 2022 Jyotirling: बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के हैं कई रहस्य, जानें रावण की किस गलती से यहां विराजमान हुए बाबा बैद्यनाथ
Baidyanath jyotirlinga: सावन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का मात्र नाम जपने से सारे दुख दूर हो जाते हैं. जानते हैं बैद्यनाथ धाम से जुड़े रहस्य और कैसे हुई बैद्यनाथ बाबा की स्थापना.
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Baidyanath jyotirlinga: सावन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का मात्र नाम जपने से सारे दुख दूर हो जाते हैं. बाबा भोलेभंडारी के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है बैद्यनाथ धाम. झारखंड के देवघर में है बैद्यनाथ धाम. कहते हैं यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है इसलिए इस शिवलिंग को 'कामना लिंग' भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये शिवलिंग रावण की भक्ति का प्रतीक है. आइए जानते हैं इस शिव धाम से जुड़े रहस्य और कैसे हुई यहां बैद्यनाथ बाबा की स्थापना
बैजनाथ धाम की रोचक जानकारियां
- बैधनाथ देश का एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो शक्तिपीठ भी है. यहां देवी सती का हृदय गिरा था. कहते हैं कि यहां बाबा माता सती के ह्दय में विराजमान है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को हृदयापीठ भी कहा जाता है.
- मंदिर को लेकर एक रहस्य आज भी बरकरार है कि यहां भक्त मुरादें लेकर आते हैं लेकिन शिवलिंग को स्पर्श करते ही अपनी मनोकामना भूल जाते हैं.
- शिवधाम में त्रिशूल लगा होता है लेकिन बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल लगा है. कहते हैं ये पंचशूल सुरक्षा कवच है. मान्यता है कि इसके यहां रहते हुए कभी मंदिर पर कोई आपदा नहीं आ सकती.
- बैद्यनाथ मंदिर का ये पंचशूल मानव शरीर के पांच विकार काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को नाश करने का प्रतीक है.
बाबा बैजनाथ धाम की कथा
रावण शिव जी का परम भक्त था. शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए उसने घोर तपस्या की और एक-एक कर उसने अपने 9 सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा दिए. जैसे ही दसवां सिर काटने की बारी आई तो महादेव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा. रावण ने शिव जी के लंका चलने का वरदान मांगा.
महादेव को लंका ले जाना चाहता था रावण
महादेव ने उसकी इच्छा स्वीकार तो की लेकिन एक शर्त के साथ. उन्होंने कहा कि रास्ते में उसने अगर कहीं भी शिवलिंग को रखा तो वो वहीं विराजमान हो जाएंगे. रावण ने शर्त मान ली. देवघर के पास आकर रावण ने शिवलिंग नीचे रखा और वह वहीं जम गया. बाद में रावण ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह हिला तक नहीं. रावण प्रभू की लाला समझ गया और क्रोधित होकर शिवलिंग पर अपना अंगूठा गढ़ा दिया. देवताओं ने शिवलिंग की पूजा की, तब भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इसकी पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होगी. ये तीर्थ रावणेश्वर रावणेश्वर धाम से भी प्रख्यात है.
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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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