Sawan 2022 Jyotirlinga: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में कैसे हुई बैल रूपी शिवलिंग की स्थापना, जानें क्या है इस धाम के रहस्य
Sawan 2022, Kedarnath Jyotirlinga: सावन में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से ही जीवन की समस्त बाधाएं दूर हो जाती है. जानते हैं केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रहस्य और कैसे हुई यहां महादेव की स्थापना.
Sawan 2022, Kedarnath Jyotirlinga: बारह ज्योतिर्लिंग में केदारनाथ धाम की मान्यता सभी ज्योतिर्लिंग में सबसे ज्यादा मानी जाती है. यहां शिवलिंग का आकार बैल की पीठ के समान त्रिकोणाकार है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद कराया था. केदारनाथ धाम उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है. मान्यता है कि शिव के प्रिय माह सावन में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से ही जीवन की समस्त बाधाएं दूर हो जाती है. आइए जानते हैं केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रहस्य और कैसे हुई यहां महादेव की स्थापना.
केदारनाथ धाम की रोचक बातें
- केदारनाथ तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यहां पांच नदियों का संगम होता है. ये नदियों मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी हैं, हालांकि अब कुछ नदियों का अस्तित्व बचा नहीं.
- शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है. इसे ऊर्जा का केंद्र माना जाता है.
- यहां स्थित बाबा भैरवनाथ के मंदिर की बहुत मान्यता है. हर साल भैरव बाबा की पूजा के बाद ही मंदिर के कपाट बंद और खोले जाते हैं. कहते है कि मंदिर के पट बंद होने पर भगवान भैरव इस मंदिर की रक्षा करते हैं.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा (Kedarnath Jyotirlinga katha)
द्वापर युग में महाभारत युद्ध में जीत हासिल करने के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के पाप का प्राश्चित करना चाहते थे. पाप से मुक्ति पाने के लिए पांडव शिव जी को खोजते हुए हिमालय पर पहुंच गए. भगवान शिव उनसे नाराज हो गए और अंतर्ध्यान हो गए और केदार में चले गए. पांडव भी उनके पीछे चल दिए. भगवान शिव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने बैल का रूप ले लिया और पशुओं के झुंड में मिल गए.
इसलिए शिव के बैल रूपी शिवलिंग को पूजा जाता है
शिव जी को ढ़ूंढ़ने के लिए भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर लिया और अपने पैर दो पहाड़ों पर फैला दिए. यह देख अन्य जानवर भागने लगे. सभी पशु भीम के पैर से निकल गए लेकिन बैल रूपी महादेव ये देखकर पुन: अंतरध्यान होने लगे तभी भीम ने उन्हें पकड़ लिया. पांडवों की भक्ति और इन प्रयासों को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए और उन्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया. उसके बाद से ही महादेव को बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में केदारनाथ धाम में पूजा जाता है.
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