Sawan Shivratri 2022, Katha: सावन में शिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस साल सावन शिवरात्रि 26 जुलाई 2022 (Sawan shivratri 2022date ) को है. इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. सावन शिवरात्रि व्रत पर इस बार तीन अति दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जिससे पूजा का फल दोगुना मिल सकता है. सावन शिवरात्रि पर मां मंगला गौरी व्रत, व्याघात और हर्षण योग होने से व्रत का महत्व बढ़ गया है. मान्यता है कि सावन शिवरात्रि की पूजा कथा पढ़े बिना पूरी नहीं मानी जाती. सुख समृद्धि में वृद्धि के लिए सावन शिवरात्रि कथा (sawan shivratri katha) का जरूर श्रवण करें.
सावन शिवरात्रि पर ऐसे की शिकारी ने की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार वाराणसी के जंगल में गुरुद्रुह नाम का भील शिकार के जरिए परिवार का पालन पोषण करता था. एक दिन उसे कोई शिकार नहीं मिला, उस दिन शिवरात्रि थी. शिकार के इंतजार में वो जंगल में घूमता हुआ एक बेलपत्र के पेड़ पर चढ़ा गया. एक हिरनी वहां आई, गुरूद्रुह तीर चलाता उससे पहले पेड़ से एक बेलपत्र का पत्ता और जल नीचे स्थापित शिवलिंग पर गिर गए. अनजाने में उसने शिवरात्रि पर प्रथम प्रहर की पूजा कर ली.
अनजाने में हुई दूसरे प्रहर की पूजा
हिरनी ने उसे देख लिया और पूछा क्या चाहते हो? शिकारी बोला तुम्हें मारकर मैं अपने परिवार का पेट भरूंगा. हिरनी बोली उसके बच्चे बहन के पास उसका इंतजार कर रहे हैं. हिरनी की बात सुनकर शिकारी ने उसे छोड़ दिया. इसके बाद हिरनी की बहन वहां गुजरी. फिर गुरुद्रुह ने अपना धनुष और तीर चढ़ाया. दोबारा बेलपत्र और जल शिवलिंग पर जा गिरे. ऐसे दूसरे प्रहर की पूजा हो गई. उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर दोबारा आने की बात कही तो गुरुद्रुह ने उसे भी जाने दिया.
ऐसे हुआ तीसरे प्रहर का पूजन
कुछ समय बाद एक हिरन अपनी हिरनी की खोज में आया. इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग का पूजन हो गया. बच्चों की बात सुनकर उसे भी शिकारी ने जाने दिया. तीनों हिरनी व हिरन शिकारी को किए वादे के चलते उसके पास लौट आए.
चौथे प्रहर की पूजा से मिली पापों से मुक्ति
सभी शिकार को एक साथ देखकर गुरुद्रुह बहुत प्रसन्न हुआ. वो सबको मारते उससे पूर्व पुन: चौथे प्रहर में भी शिवलिंग का पूजन हो गया और सुबह से रात तक भूखे-प्यारे रहने पर उसका अनजाने में शिवरात्रि व्रत भी पूर्ण हुआ. इस तरह उसे पापों से मुक्ति मिल गई और उसने हिरनों को मारने का विचार भी छोड़ दिया.
शिव जी ने दिया ये वरदान
गुरुद्रुह को भगवान शिव ने साक्षात दर्शन दिए और सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई। इस प्रकार गुरुद्रुह दिनभर भूखा-प्यासा रहकर रात भर जागता रहा और चारों प्रहर अंजाने में ही उससे शिव की पूजा हो गई और शिवरात्रि का व्रत संपन्न हो गया, जिसके प्रभाव से उसके पाप तत्काल भस्म हो गए। सूर्योदय होते ही उसने सभी हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया. तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उसे वरदान देते बोले त्रेतायुग में भगवान राम उसके घर आएंगे साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी.
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