Sawan 2022: 25 जुलाई को सावन का पहले सोम प्रदोष व्रत (Sawan som pradosh 2022 date) है. सावन माह में अगर सोमवार को ही प्रदोष व्रत हो तो शिव पूजा के लिए इसे बहुत शुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों एक साथ होना प्रदोष व्रत कहलाता है. मान्यता है इस दिन महादेव और शिव पार्वती की पूजा से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. प्रदोष के दिन शिव-पार्वती की पूजा सायं काल में की जाती है. हर व्रत का फल तभी मिलता है जब पूजा के समय कथा का श्रवण किया हो. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की कथा.
सावन सोम प्रदोष व्रत 2022 कथा (Sawan som pradosh vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी. उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी आजीविका का कोई साधन नहीं था. ऐसे में वो प्रतिदिन सुबह होते ही अपने बेटे के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी. इसी तरह वो अपना और बेटे का पालन पोषण करती थी. एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसने देखा एक लड़का घायल अवस्था में दर्द से कराह रहा था.
ब्राह्मणी के घर रहता था राज्य का राजकुमार
ब्राह्मणी को दया आ गई और वो उसे साथ घर ले आई. वो लड़का विदर्भ का राजकुमार था. दूसरे राज्य के सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था और उसके पिता को बंदी बना लिया था. राजकुमार, ब्राह्मणी के घर रहने लगा. एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई. अगले दिन अंशुमति ने अपने माता-पिता से राजकुमार के साथ शादी की इच्छा जाहिर की. शंकर भगवान ने अंशुमति के पिता को स्वप्न में आदेश दिया कि वो अपनी बेटी का ब्याह राजकुमार के साथ कर दे, उन्होंने वैसा ही किया.
प्रदोष व्रत के प्रभाव से फिर राजकुमार के दिन
ब्राह्मणी हर माह प्रदोष व्रत करती थी. इस व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और दोबारा पिता के साथ खुशहाल जीवन जीने लगा. राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया. मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से उसके पुत्र और राजकुमार का भला हुआ वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों का भाग्योदय भी करते हैं.
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