Sawan 2022, Kashi Vishwanath Jyotirling: सावन का महीना चल रहा है ऐसे में शिवलिंग और बाबा के 12 ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है. भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित मंदिरों में से काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग. भगवान शिव का ये मंदिर यूपी के वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित हैं. मान्यता है कि सावन में बाबा काशी विश्वनाथ का नाम जपने से ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.


विश्वनाथ मंदिर का इतिहास युगो-युगांतर से हैं जहां भगवान भोलेभंडारी मां पार्वती के साथ विरासमान हैं. आइए जानते काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महीमा और इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातें.


देवी पार्वती के साथ काशी आए थे भगवान शिव


काशी यानी वाराणसी अनादि काल से अध्यात्म का केंद्र रहा है. हिंदू धर्म में इसे देवभूमि माना गया है. ये दो नदियां वरुणा और असि के मध्य होने से इसका नाम वाराणसी पड़ा. द्वादश ज्योतिर्लिंग में से काशी विश्वनाथ सातवें ज्योतिर्लिंग हैं. मान्यता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में वास करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव माता पार्वती के साथ विवाह उपरांत कैलाश रहते थे और वहीं देवी पार्वती को विवाह के बाद अपने पिता के घर रहना अच्छा नहीं लग रहा था. एक दिन भगवती ने भोलेनाथ से उन्हें अपने साथ ले जाने का कहा. इसके बाद भोलेनाथ उन्हें पवित्र नगर काशी ले आए और यहां पर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए.


काशी विश्वनाथ का काल भैरव से खास संबंध


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर बहस छिड़ी. भगवान भोलेनाथ ने इस सवाल के जवाब ढ़ूंढने के लिए ब्रह्मा जी और विष्णु जी की परीक्षा ली. शिव जी एक विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया और दोनों देवों से कहा कि जो सर्वप्रथम इसके छोर पर पहुंचेगा वो सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा.


आकाश से पताल तक फैली इस दिव्य ज्योति (ज्योतिर्लिंग) का छोर दोनों देव में से किसी को प्राप्त नहीं हुआ. विष्णु जी तो हार मानकर ये स्वीकार किया कि ये ज्योति अनंत है लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्हें इसके छोर का पता लग गया है. ये सुनकर बाबा भोलेनाथ क्रोधित हो उठे. कहा जाता है कि भगवान शिव के इसी गुस्से से काल भैरव का जन्म हुआ. काल भैरव ने ब्रह्मा जी के एक मुख को काट दिया. ये ज्योतिर्लिंग कोई और नहीं काशी विश्वनाथ कहलाया.


काशी विश्वनाथ मंदिर की रोचक बातें



  • काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर नाम से भी जाना है. जिसका अर्थ है ‘ब्रह्मांड का शासक’

  • मान्यता है कि वाराणसी भगवान शिव के त्रिशूप टिकी हुई है. कहते हैं प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा.

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पवित्र गंगा नदी में स्नान के बाद ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मोक्ष प्राप्त होता है.

  • विश्वनाथ मंदिर का परिसर में काल-भैरव, विष्णु जी, गणेश जी के मंदिर हैं. माना जाता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी.

  • भैरव बाबा भगवान शिव के गण माने गए हैं. इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है. मान्यता है कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पहले भैरव बाबा के दर्शन की परंपरा है तभी दर्शन का महत्व माना जाता है.


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