Sawan 2023: देवाधिदेव महादेव को सावन का महीना अतिप्रिय है. पंचांग के चैत्र से लेकर फाल्गुन तक के सभी बारह महीनों में सावन का महीना ही महादेव को अतिप्रिय होता है, जिसमें भोलेनाथ की पूजा और व्रत का महत्व होता है.


इस साल सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है, जिसका समापन 31 अगस्त को होगा. इस साल सावन में अधिकमास लगने के कारण इस बार सावन दो महीने का होगा. सभी देवताओं में भोलेनाथ का स्वरूप अद्भुत और निराला है. शिव के स्वरूप की बात करें तो उनके गले में सर्प, कानों में बिच्छू के कुंडल, हाथों में डमरू, त्रिशूल, माथे पर त्रिनेत्र और तन पर बाघम्बर आदि होता है. भोलेनाथ का स्वरूप हमें कई तरह की शिक्षा प्रदान करता है. आइये जानते हैं भोलेनाथ के ऐसे ही 10 स्वरूपों की महिमा के बारे में.




  • शिव निराले,अनूठे और अद्भुत हैं. क्योंकि सभी देवी-देवों के रेशमी वस्त्र, स्वर्णाभूषण और रत्नों से जडित मुकुट शोभायमान होते हैं.वहीं महादेव के सिर पर जटाएं होती हैं, जिनमें मां गंगा समाई हैं 

  •  सभी देवता गले में हार पहनते हैं. लेकिन महादेव के गले में मुण्डमाला है और भयंकर वासुकी नाग उनके गले में शोभा पाता है. 

  •  महादेव ने मन को वश में कर लिया है. वे मन के कहे नहीं बल्कि मन को अपने कहे चलाते हैं. इसका प्रतीक है वृषभ की सवारी. 

  •  हाथ में त्रिशूल है जोकि शक्ति का प्रतीक है. 

  •  वस्त्रों के नाम पर महादेव बाघम्बर लपेटे हुए होते हैं और संपूर्ण शरीर पर भस्म रमाए रहते हैं. मृगछाला पर विराजमान रहते हैं. भस्म और मृगछाल उनके वैराग्य का प्रतीक है. 

  •  न कोई महल, न आवास कैलाश पर्वत पर पत्थर की शिला पर सदैव ध्यान मग्न अवस्था में विराजमान रहते हैं। कैलाश शरीर के भीतर स्थित सहस्त्रार चक्र का प्रतीक है। 

  •  त्रिनेत्रधारी का तीसरा नेत्र ध्यान का प्रतीक है. 

  •  उनका वाद्य यंत्र डमरू है. यह अनहद नाद का संगीत है. यही नाद दिन-रात हमारी चेतना और संपूर्ण ब्रह्माण्ड में गूंज रहा है. 

  •  सिर पर मुकुट की जगह चन्द्रमा शोभायमान है, जोकि आत्मा के प्रकाशवान होने का प्रतीक है.

  •  शिव को भांग प्रिय है, जो उनकी एकाग्रता और भीतर की खुमारी का प्रतीक है. 


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