Sawan 2023: देवाधिदेव महादेव को सभी माह में सावन का माह अतिप्रिय और मनभावन है. इस साल सावन की शुरुआत 4 जुलाई से होकर 31 अगस्त तक रहेगा. सावन में शिवजी की अराधना करना किसी वरदान से काम नहीं हैं. वहीं सावन में शिवजी अराधना तो भक्तों के लिए कल्पवृक्ष समान है. लेकिन सावन माह में रुद्राभिषेक और रूद्री पाठ करना बहुत ही फलदायी माना जाता है.
देवों के देव महादेव जब प्रसन्न होते हैं तो तांडव करते हैं और जब वे रूष्ट हो जाते हैं तो अपना तीसरा नेत्र खोल देते हैं. शिव नटराज हैं और अर्धनारीश्वर भी. जैसे महादेव है वैसा कोई अन्य देव नहीं. इसीलिए वे महादेव देवों के देव हैं.
महादेव वैरागी हैं और सन्यासी भी हैं. सभी देवी-देवताओं की पूजा भले ही कठिन हो लेकिन महादेव तो केवल जल अर्पण और पंचाक्षर मंत्र ‘नमःशिवाय’ से ही प्रसन्न हो जाते हैं. भक्तों के लिए तो देवों के देव महादेव को कल्पतरू के समान कहा गया हैं. जैसे स्वर्ग में कल्पतरू वृक्ष के नीचे बैठने से हर कामना की पूर्ति हो जाती है, ठीक वैसे ही महादेव को भक्ति से प्रसन्न कर लेने पर भक्तों की कामनाएं पूरी हो जाती है.
महादेव की भक्ति से दूर हो जाते हैं जन्मों के पाप
महादेव की अराधना भक्तों को जन्मों जन्मों के पापों से मुक्ति देने वाले हैं. इसलिए कहा गया है कि- ‘कुमकुमचंदन लेपित लिंगम, पंकजहार सुशोभित लिंगम। संचित पाप विनाशक लिंगम, तत्प्रणमामी सदाशिव लिंगम।।’ यानी भक्ति से प्रसन्न होने पर शिव भक्तों के जन्मों जन्मों के संचित पापों का नाश कर देते हैं.
ऐसे निराले, अनूठे और भक्तों का वर देने वाले महादेव को सर्वाधिक प्रिय मास है सावन तो सर्वाधिक प्रिय रूद्री पाठ और अभिषेक है. सावन में रूद्राभिषेक और रूद्री पाठ करने से शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहे वरदान देते हैं. लेकिन इस बात को जान लें कि कितने पाठ करने से कामनाएं पूरी होती है?
- एक बार रूद्री पाठ करने से-ग्रहों की शांति होती है.
- तीन पाठ करने से उपद्रव की शांति होती है.
- पांच पाठ करने से सभी ग्रहों की शांति होती है.
- सात पाठ से भय से मुक्ति मिलती है.
- 11 पाठ करने पर एक रूद्र का पाठ सम्पन्न होता है.
वहीं तीन रूद्र का पाठ यानी 33 रूद्री करने से कामना की सिद्धि होती है और शत्रु का नाश हो जाता है. पांच रूद्र यानी 55 रूद्री करने से वशीकरण, सात रूद्र यानी 77 पाठ से सुख की प्राप्ति, नौ रूद्र यानी 99 से पुत्र-पौत्र, धन-धान्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसी तरह नौ रूद्रों यानी 99 के पाठ से एक महारूद्र का फल प्राप्त होता है. इससे शत्रुओं का उचचाटन, राजभय का नाश, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की सिद्धि, अकाल मृत्यु से रक्षा, आरोग्य, यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है. तीन महा रूद्रों यानी 297 रूद्री से असाध्य कार्य की सिद्धि, पांच महा रूद्रो 495 रूद्री से राज्य कामना की सिद्धि, सात महा रूद्रो यानी 693 रूद्री से सतलोक की सिद्धि, नौ महा रूद्रों यानी 999 रूद्री के पाठ से पुनर्जन्म से मुक्ति, ग्रह दोष की शांति, असाध्य रोगों से रक्षा और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
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