Sawan Ekadashi 2023 Kab Hai : इस साल सावन 2 महीने का है. ऐसे में कई व्रत-त्योहार का महत्व बढ़ गया है. सावन 4 जुलाई से शुरू हुआ था, इसका समापन 31 अगस्त 2023 को होगा. ऐसे में इस साल श्रावण मास में 4 प्रदोष व्रत, 4 एकादशी व्रत, 4 चतुर्थी व्रत का सुंदर संयोग बना है.


इस बार सावन में चार एकादशी होने से इसका महत्व दोगुना हो गया है. व्रती को शिव संग श्रीहरि की अपार कृपा प्राप्त होगी. आइए जानते हैं सावन में सभी चारों एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व.



सावन 2023 में एकादशी व्रत कब-कब (Sawan Ekadashi 2023 Dates)


इस साल सावन में 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक अधिकमास भी रहेगा. ऐसे में सावन में चार एकादशी का दुर्लभ संयोग बन रहा है. हर एकादशी का अपना महत्व है. वैसे हो हर तीन साल में अधिकमास आता है लेकिन 19 साल बाद सावन में अधिकमास आया है.



  • कामिका एकादशी - 13 जुलाई 2023

  • पद्मिनी एकादशी - 29 जुलाई 2023

  • परमा एकादशी - 12 अगस्त 2023

  • सावन पुत्रदा एकादशी - 27 अगस्त 2023


13 जुलाई 2023, गुरुवार - कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2023)


सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं. कामिका एकादशी का व्रत वाजपेय यज्ञ करने के समान पुण्य देता है. गुरुवार का दिन होने से कामिका एकादशी व्रत बहुत खास माना जा रहा है. इस दिन शिव संग विष्णु जी की पूजा करने से पाप कर्मों से मुक्ति मिलेगी.


27 अगस्त 2023, रविवार - पुत्रदा एकादशी (Sawan Putrada Ekadashi 2023)


सावन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं. इस व्रत को करने से संतान संबंधी हर परेशानी दूर हो जाती है. अपने नाम स्वरूप सावन पुत्रदा एकादशी व्रती को संतान सुख प्रदान करता है.


29 जुलाई 2023, शनिवार - पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023)


पद्मिनी एकादशी अधिकमास में आती है. हर तीन साल बाद अधिकमास आते हैं, इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. अधिकमास विष्णु जी को सबसे प्रिय है. यही वजह है कि अधिकमास के कृष्ण पक्ष की पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति बैकुंठ लोक में स्थान पाता है. उसे नर्क की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती.


12 अगस्त 2023, शनिवार - परमा (पुरुषोत्तम) एकादशी (Purushottam Ekadashi 2023)


अधिकमास के शुक्ल पक्ष की परमा एकादशी को पुरुषोत्तम और कमला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पुरुषोत्तम श्रीहरि विष्णु का ही नाम है. तीन साल में एकबार आने से इन एकदाशी का महत्व अन्य एकादशी से कई गुणा अधिक बताया गया है. इस व्रत को सच्चे मन से करने पर दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है.


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