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Sawan 2023 Niyam: सावन में रखें इन बातों का ध्यान, वरना भोलेनाथ की कृपा से रह जाएंगे वंचित
Sawan 2023 Niyam: 04 जुलाई से पवित्र सावन मास का शुभारंभ हुआ है. इस अतिपवित्र और पावन मास में सभी शिव भक्तों को शिवजी की पूजा-अराधना और व्रत रखने के साथ ही कुछ विशेष ध्यान रखना चाहिए.
Sawan 2023 Niyam: शास्त्रों में बताया गया है कि, सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती है. इसके साथ ही सावन महीने के लिए कुछ उपाय और नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. आइए जानते हैं-
सावन में जरूर करें ये काम
- ब्रह्म मुहूर्त में ही बिस्तर को त्यागना- जब व्यक्ति प्रातःकाल जल्दी उठेगा तभी नित्य कर्मों से निवृत हो स्नानादि के बाद भोलेनाथ की पूजा सुबह में कर पाएगा. इस माह सुबह में की गई पूजा का विशेष महत्त्व है. वही सुबह का समय स्वास्थ्य की दृष्टि से भी फायदेमंद है. शुद्ध हवा के साथ ही सुबह जल्दी उठने से मन भी शांत होता है. मन को पूरी तरह एकाग्रचित कर पूजा की जा सकती है. जो शीघ्र शुभ फलों की प्राप्ति में सहायक होती है.
- बुरे विचारों से दूरी बनाना- सावन के इस धार्मिक मास में जब धर्म के प्रति आस्था होती है तो ऐसे में मन में बुरे विचारों का कोई भी स्थान नहीं होता. इसलिए इस पूरे मास किसी को नुकसान पहुंचाने, अधार्मिक कार्य करने और स्त्री के बारे में किसी भी प्रकार के गलत विचारों से बचना चाहिए. शास्त्रों में भी किसी स्त्री के बारे में गलत सोचने को महापाप की श्रेणी में डाला गया है. इस माह में धर्म संबंधित पुस्तके एवं अच्छे साहित्य के अध्ययन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, तभी शुभ फलों की प्राप्ति संभव हो पाएगी.
- गुस्से को रखे काबू में- गुस्सा अक्ल को खा जाता है. अशांत चित्त से कोई भी व्यक्ति पूजा जैसे धार्मिक कार्य को अच्छी तरह से संपन्न नहीं कर सकता और महादेव की कृपा अशांत मन से प्राप्त नहीं की जा सकती है. इस पवित्र श्रावण मास में अपने गुस्से को रखे अपने से दूर.
- पति-पत्नी के मध्य बहे प्रेम की सरिता-किसी भी एक मुद्दे पर सभी व्यक्तियों की समान विचारधारा बने, ये संभव नहीं. विचारों में मतभेद (डिफरेंस ऑफ ओपिनियन) का होना जरूरी है. लेकिन ये किसी भी लड़ाई का स्वरुप ले लें ऐसी परिस्थिति को इस महीने दूर करना चाहिए. जिस घर में क्लेश रहता है वहां देवी-देवताओं का वास नहीं होता. शांत और प्रसन्नचित मन से की गयी पूजा का सम्पूर्ण फल भी शीघ्र ही प्राप्त होता है. ऐसे में सभी पति-पत्नियों को चाहिए की संबंधों में मिठास बनाए रखें.
- इनका नहीं करें अपमान-ख्याल रहे की इस पवित्र माह सावन में सभी बुजुर्गों, गुरुजनों, ज्ञानीजन, माता-पिता, पत्नी और भाई-बहन का अपमान न करें. ऐसा नहीं करने से भोलेनाथ को समर्पित किसी भी पूजा का नहीं मिल पाएगा कोई भी शुभ फल. श्रावण मास में विशेषकर इनका भूलकर भी नहीं करे अपमान, वरना आप रहेंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित.
इन चीजों का सेवन न करें
- किस वस्तु के सेवन से बचें- शास्त्रो में बैंगन को अशुद्ध के श्रेणी में रखा गया है. इसलिए श्रावण मास में बैंगन का किसी भी रूप सेवन करना वर्जित है. वैसे भी श्रावण मास के दौरान बैंगन में कीड़े लग जाते है और ऐसी परिस्थिति में इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी सही नहीं है. यही प्रक्रिया आप कार्तिक मास में भी आप देख सकते है.
- श्रावण मास में न करें दूध का सेवन-इस माह में दूध के सेवन से वात दोष बढ़ता है. यदि आप इस परिस्थिति को अवॉयड नहीं कर सकते है तो दूध को बहुत अच्छी तरह से ज्यादा खौलाने के बाद ही सेवन करें. लेकिन कच्चा दूध का सेवन न करें.
- हरी पत्तेदार सब्जियों से करें परहेज-श्रावण मास में क्योंकि हम सभी भोलेनाथ का व्रत करते है. हरी पत्तेदार सब्जियों में कीड़े ना हो, ये संभव नहीं. वहीं जहां ये उगाई जाती है इसके आस-पास अन्य घास का उग आना स्वाभाविक है. जो की हानिकारक होती है, ऐसे में हमारे खाने में इनका आना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है और इस मास में हरी सब्जियों में वात को बढ़ाने वाले तत्वों में भी बढ़ोतरी हो जाती है. इसलिए इसे इस दरम्यान खाना उचित नहीं है.
- मांसाहार से बनाये पूरी दूरी-हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा, पर्व या त्यौहार में किसी भी जीव की हत्या कर उसे खाना निषेध है. एक तरफ हम धर्म का कार्य कर रहे है, वहीं किसी जीव की हत्या अपने निजी स्वार्थ और स्वाद के लिए करना, कहां सनातन धर्म की बात हो गयी? ये एक घोर पाप की श्रेणी में आता है. इसलिए ऐसा कर पाप के भागी बनने की बजाए आप इससे उचित दूरी बनाए.
- शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना है वर्जित- शिवलिंग पौरुषत्व को दर्शाता है और ये भोलेनाथ का प्रतीक है. हल्दी एक स्त्रीत्व वस्तु है. इसलिए इसका उपयोग शिवलिंग पर नहीं किया जाना चाहिए. जलाधारी एक स्त्रीत्व है, जो की मां पार्वती का प्रतीकात्मक है, इसलिए हल्दी का प्रयोग जलाधारी पर ही करना चाहिए.
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