Sawan 2023: शिवजी का पहला अवतार है 'वीरभद्र', जानें कब और क्यों शिव को लेना पड़ा यह अवतार
Sawan 2023: शिव प्रिय सावन माह में जानेंगे महादेव के पहले वीरभद्र अवतार के बारे में. शास्त्रों में शिवजी के कुल 19 अवतारों का जिक्र मिलता है, जिसमें वीरभद्र अवतार को पहला अवतार माना गया है.
Sawan 2023: सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जोकि शिवजी का प्रिय माह माना जाता है. इस माह भक्त श्रद्धाभाव से व्रत रखकर शिव की अराधना करते हैं. लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो, शिव के अवतारों के बारे में जानते हैं. शिवजी ने कुल 19 अवतार लिए हैं.
भगवान शिव से कई कथाएं जुडी हैं, जिनमें उनके अवतारों की कथाएं और रहस्य भी एक है. शिव महापुराण में शिवजी के कई अवतारों का वर्णन मिलत है. कुछ जगहों पर शिव जी के 24 तो कुछ में 19 अवतारों के बारे में बताया गया है. शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी तो कुछ दक्षिणमार्गी भी हैं. हालांकि शिवजी के 19 अवतारों की चर्चा सबसे अधिक होती है, जोकि इस प्रकार से हैं-
शिवजी के 19 अवतार
वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी अवतार,भैरव अवतार, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, ऋषि दुर्वास, हनुमान जी, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी अवतार, सुनटनतर्क और यक्ष अवतार. ये शिवजी के 19 अवतारों के नाम हैं. जानते हैं शिवजी के पहले वीरभद्र अवतार के बारे में..
वीरभद्र अवतार के उत्पत्ति की कथा (Story of Lod Shiva Veerbhadra Avatar)
शिवजी के इस अवतार को शिव का गण माना जाता है, जोकि उनकी जटा से उत्पन्न हुआ था. वीरभद्र की उत्पत्ति से जुड़ी कथा के अनुसार, एक बार शिवजी के ससुर राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन कराया, जिसमें उन्होंने सभी ऋषि-मुनियों, देवी-देवताओं को आमंत्रित किया. लेकिन राजा दक्ष ने इस यक्ष में सती और शिवजी को नहीं बुलाया. लेकिन सती ने इस यक्ष में जाने की जिद्द कर दी, जिससे विवश होकर शिव ने उन्हें जाने की आज्ञा दे दी.
यज्ञ में सती के पिता राजा दक्ष ने शिव के बारे कटु वचन कहकर उनका बहुत अपमान किया. अपने पति शिव का अपमान सती से सहन नहीं हुआ और वह जलते हुए यज्ञ की अग्नि कुंड में कूद गई. जब इसकी सूचना शिव को मिली तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और इसे पर्वत के ऊपर पटक दिया.
शिवजी के इसी जटा के पूर्वभाग से उनका पहला अवतार वीरभद्र प्रकट हुआ, जोकि महाभयंकर था. शिव के वीरभद्र अवतार ने न केवल दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया बल्कि दक्ष का सिर काटकर शिवजी के समक्ष रख दिया. लेकिन ऋषि-मुनियों और देवताओं की विनती के बाद शिवजी ने राजा दक्ष के सिर पर बकरे का सिर लगाकर उन्हे जीवनदान दे दिया. शिव से उत्पन्न होने के कारण वीरभद्र को शिव का अंशावतार माना गया है. बाद में शिव ने वीरभद्र को अपने गणों में शामिल कर लिया. शिवजी के गणों में भैरव और नंदी को प्रमुख माना जाता है.
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