Sawan Last somwar 2022: सावन का आखिरी सोमवार आज, इस विधि से शाम को करें गौरीशंकर की पूजा, नहीं मिलेगा एक साल तक ऐसा मौका
Sawan Last somwar 2022, Shiva Pradosh Kaal puja: सावन का आज आखिरी सोमवार है. महादेव की पूजा के लिए शाम का समय यानी की प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है.जानते हैं कैसे करें प्रदोष काल में शिव की पूजा.
Sawan Last somwar 2022, Shiva Pradosh Kaal puja: सावन का आज आखिरी सोमवार है. महादेव की पूजा के लिए शाम का समय यानी की प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है. मान्यता है कि प्रदोष काल में शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. इस काल में की गई भोलेनाथ की उपासना का अक्षय फल मिलता है. प्रदोष काल में शिव साधना से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सावन के सोमवार पर प्रदोष काल की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है. प्रदोष काल में शिव परिवार (Pradosh kaal shiv puja) की पूजा से वैवाहिक जीवन में खुशहाली, सुख-समृद्धि में वृद्धि, ग्रह दोष शांति और महादेव की कृपा से बिगड़े काम बन जाते हैं. आज श्रावण का आखिरी सोमवार है अब ये मौका अगले वर्ष ही आएगा इसलिए आज शाम के समय गौरीशंकर की आराधान कर उनसे मनइच्छा फल पा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे करें प्रदोष काल में शिव की पूजा.
प्रदोष काल में शिव पूजा का लाभ
- प्रदोष काल दिन का अंत और रात्रि की शुरुआत के मध्य का समय होता है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है.
- इस काल में शिव कैलाश पर प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रदोष काल में विष्णु मृदंग बजाकर, ब्रह्मा जी ताल देकर, मां सरस्वती वीणा बजाकर भोलेनाथ की स्तुति में लीन हो जाते हैं.
- प्रदोष काल में शिव के साथ मां पार्वती और गणेश जी की पूजा भी की जाती है. भोलेनाथ भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. उनके सारे दुख हर लेते हैं. ‘प्रदोष स्तोत्र’ के अनुसार इस काल में भगवान गौरीशंकर की आराधना करने से कभी दरिद्रता नहीं आती. आरोग्य का वरदान मिलता है.
कैसे करें प्रदोष काल में महादेव की पूजा ?
- सावन के अंतिम सोमवार पर आज सूर्यास्य के पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें.
- प्रदोष काल में शिवलिंग का जलाभिषेक करने से महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. उत्तर दिशा की ओर मुख कर तांबे के लौटे से शिवलिंग पर धारा बनाकर जल अर्पित करें.
- पंचामृत से भोलेनाथ को स्नान कराएं. मां पार्वती और गणेश जी का षोडोपचार से पूजन करें.
- महादेव को अक्षत, धतूरा, वस्त्र, चंदन, यज्ञोपवीत, गुलाल, इत्र, मदार के पुष्प, बेलपत्र, शमी पत्र, भस्म, भांग, पान का बीड़ा, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें.
- मां पार्वती और भोलेनाथ के चंद्रमौलेश्वर रुप का ध्यान कर इन मंत्रों का जाप करें.
- श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
- ऊँ सोमेश्वराय नम:
- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्।
- ह्रीं गौर्य नम :
है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
- पूरे परिवार सहित आरती करें और व्रत का पारण करें.
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