Sawan Last Saturday: सावन का आखिरी शनिवार आज, शनि दोष से मुक्ति के लिए इन राशि वालों को जरूर करने होंगे ये उपाय
Sawan Last Saturday Upay: आज सावन का आखिरी शनिवार है. कुंभ मिथुन, मकर, धनु और तुला राशि वाले आज यह उपाय करें. इससे शनि दोषों से मुक्ति मिलेगी. आइये जानें ये उपाय.
Sawan Last Saturday Upay: आज 21 अगस्त को सावन का आखिरी शनिवार है. सावन का महीना कल यानी 22 अगस्त को खत्म हो रहा है. ज्योतिष के अनुसार मौजूदा समय में मकर, कुंभ और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. सावन मास जहां भगवान शिव को समर्पित होता है, वहीं शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. ऐसे में इन राशि वालों को आज सावन के आखिरी शनिवार को भगवान शिव की आराधना और नीचे दिए गये उपायों को जरूर करना चाहिए.
शिवलिंग का जलाभिषेक करें : शिवलिंग असीम ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. आज सावन के आखिरी शनिवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें. इससे भगवान शंकर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
शिवलिंग पर दूध, दही अर्पित करें: धार्मिक मान्यता है कि सावन शनिवार के दिन शिवलिंग पर दूध, दही अर्पित करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. इससे भक्तों पर उनकी असीम कृपा रहती है. जिस व्यक्ति पर भगवान भोलेनाथ की कृपा रहती है उस पर शनि दोष का प्रभाव नहीं रहता. ध्यान रहे कि शिवलिंग पर दूध, दही अर्पित करने के बाद शिवलिंग का जलाभिषेक अवश्य करें.
शिवलिंग पर सफेद वस्त्र और जनेऊ चढ़ाएं: जिन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप है. वे आज भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर जनेऊ ओर सफेद वस्त्र जरूर चढ़ाएं. शनि दोषों से मुक्ति मिलेगी.
भगवान शिवजी की आरती: आज सावन का आखिरी शनिवार है, जो कि भगवान शिव की आराधना ऐसे शुभ समय में करने का इस साल का अंतिम अवसर है. इस लिए इन राशि वालों को शिव आराधना के बाद यह आरती अवश्य करनी चाहिए.
- जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
- एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
- दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
- अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
- श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
- कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
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