Mauna Panchami 2023: सावन में इस दिन मौन रहकर की जाती है शिव जी की पूजा, जानें महत्व
Mauna Panchami 2023: सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मौना पंचमी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत करने वालों को आरोग्य का वरदान मिलता है. जानते हैं मौना पंचमी की डेट और महत्व
Sawan Mauna Panchami 2023: सावन 4 जुलाई 2023 से शुरु होगा. सावन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों की पचंमी तिथि नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मौना पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन शिव जी के साथ नाग देवता की पूजा का विधान है.
मौना पंचमी का व्रत खासकर बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत करने वालों को आरोग्य का वरदान मिलता है, वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं. आइए जानते हैं इस साल मौना पंचमी की डेट, मुहूर्त और महत्व.
मौना पंचमी 2023 डेट (Mauna Panchami 2023 Date)
सावन माह के कृष्ण पक्ष की मौना पंचमी का त्योहार 7 जुलाई 2023 को है. पंचांग के अनुसार सावन के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 07 जुलाई 2023 को प्रात: 03 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और 08 जुलाई 2023 को प्रात: 12 बजकर 17 मिनट पर खत्म होगी.
मौना पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त (Mauna Panchami 2023 Muhurat)
- सुबह का मुहूर्त - सुबह 05.29 - सुबह 08.58
- दोपहर का मुहूर्त - दोपहर 12.26 - दोपहर 02.10
- शाम का मुहूर्त - शाम 06.39 - रात 07.23
मौना पंचमी महत्व (Mauna Panchami Significance)
धर्म ग्रंथों के अनुसार पंचमी के देवता हैं नागराज. सावन में पंचमी तिथि पर नागदेवता की पूजा करने से काल का डर नहीं रहता. इस दिन मौन व्रत रखने से व्यक्ति मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाता है. मौना पंचमी व्रत के प्रताप से शारीरिक ऊर्जा मिलती है और ग्रहों की बाधा दूर होती है. यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं. जो निसंतान दंपत्ति शादी के बाद बच्चे की चाह रखते हैं उन्हें ये व्रत जरुर रखना चाहिए, इससे योग्य और कुशल संतान पैदा होती है.
मौना पंचमी पूजा विधि (Mauna Panchami Puja vidhi)
मौना पंचमी के दिन शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप और नाग देवता का पूजन होता है. इस दिन से नवविवाहित महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं. मान्यता है इससे सुहाग पर कभी कोई संकट नहीं आता. मौना पंचमी पर मौन व्रत रखें और नाग देवता को घी,सूखे फल, खीर दूध इत्यादि सामग्री चढ़ाकर उनकी पूजा करे. कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सावन में नाग देवता की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है.
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