Sawan Putrada Ekadashi 2023: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत से मिलती है सुयोग्य संतान, जानें ये कथा और महत्व
Sawan Putrada Ekadashi 2023 Date: 27 अगस्त 2023 को पुत्रदा एकादशी का व्रत है. इस व्रत को करने से संतान सुख, उसकी उन्नति और सुरक्षा का वरदान मिलता है. जानते हैं सावन पुत्रदा एकादशी का मुहूर्त, कथा
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Sawan Putrada Ekadashi 2023 Kab Hai: सावन माह के शुक्ल पक्ष एकादशी 27 अगस्त 2023 को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. ये व्रत पाप नाशक माना जाता है इसके प्रभाव से सुयोग्य संतान का सुख मिलता है.
रक्षाबंधन से चार दिन पहले सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से वंश में वृद्धि होती है, संतान पर आने वाले संकटों का नाश होता है. इस व्रत में एकादशी की कथा का जरुर श्रवण करें, तभी पूजा का पूर्ण फल मिलेगा.
सावन पुत्रदा एकादशी 2023 मुहूर्त (Sawan Putrada Ekadashi 2023 Muhurat)
सावन शुक्ल एकादशी तिथि शुरू - 27 अगस्त 2023, प्रात: 12.08
सावन शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त - 27 अगस्त 2023, रात्रि 09.32
- व्रत पारण समय - सुबह 05.57 - सुबह 08.31 (28 अगस्त 2023)
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Sawan Putrada Ekadashi Vrat Katha)
द्वापर युग में महिष्मती नाम का एक राज्य था, जिसकी बागडोर राजा महाजित के हाथों में थी. राजा महाजित धन, ऐश्वर्य, संपत्ति से परिपूर्ण था लेकिन पुत्रहीन होने के कारण वह सदा चिंतित रहता था. राजा ने पुत्र प्राप्ति के बहुत उपाय किये, किन्तु उसका हर उपाय निष्फल रहा. राजा महाजित वृद्धावस्था की ओर बढ़ता जा रहा था. राजा अपनी प्रजा के साथ समस्त प्राणियों का अच्छी तरह ध्यान रखता था. पुरुषार्थ करने के बाद भी वह संतानहीन क्यों है, इस बात को लेकर वह हमेशा दुखी रहता.
राजा को इस पाप के कारण नहीं मिला संतान सुख
एक दिन राजा ने अपने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाकर संतान प्राप्ति के उपाaय पूछे. राजा की बात सुनकर सभी ने कहा कि ‘हे राजन तुमने पूर्व जन्म में एकादशी के दिन अपने तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था. जिसके वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था, इसी कारण तुम संतान सुख से वंचित हो.
संतान प्राप्ति के लिए किया सावन पुत्रदा एकादशी व्रत
लोमेश ऋषि ने कहा कि अगर राजा महाजित श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करें तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी, घर में जल्द ही बच्चे कि किलकारियां गूंजेंगी. साथ ही राजा के सभी कष्टों का नाश हो जायेगा. राजा ने सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत-पूजन विधि अनुसार किया, इस पुण्य के प्रभाव से रानी ने गर्भ धारण किया और नौ माह पश्चात एक अत्यन्त तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया.
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