Sawan Skanda Sashti 2022: कब है सावन स्कंद षष्ठी व्रत? जानें पूजा का मुहूर्त और महत्व
Sawan Skanda Sashti 2022: सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाने वाला व्रत स्कन्द षष्ठी व्रत कहलाता है. यह व्रत इस बार 3 अगस्त, बुधवार को पड़ेगा.
Sawan Skanda Sashti 2022 Mahatv: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कन्द षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि विधान से की जाती है. आइए जानते हैं सावन स्कंद षष्ठी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त, आदि के बारे में.
सावन स्कंद षष्ठी व्रत 2022 तिथि
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 03 अगस्त, प्रात: 05 बजकर 41 मिनट पर
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त: 04 अगस्त, प्रात: 05 बजकर 40 मिनट पर
उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सावन स्कंद षष्ठी व्रत 03 अगस्त को रखा जाएगा.
सावन स्कंद षष्ठी 2022 पूजा मुहूर्त
स्कंद षष्ठी व्रत के दिन यानी 3 अगस्त, बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बना हुआ है. इसके साथ ही सिद्ध और साध्य योग के साथ हस्त और चित्रा नक्षत्र भी हैं.
सिद्ध योग: 3 अगस्त, बुधवार, सुबह से लेकर शाम 05 बजकर 49 मिनट तक फिर साध्य योग प्रारंभ
सर्वार्थ सिद्धि योग: 3 अगस्त, बुधवार, प्रात: 05 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 24 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग: 3 अगस्त, बुधवार, सुबह 05 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग: उसके बाद शाम को 06 बजकर 24 मिनट से अगले दिन 04 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 44 मिनट तक
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
षष्ठी वह दिन था जब भगवान स्कंद ने राक्षस सोरापदम को हराया था. सोरापदम के बुरे कर्मों को सहन करने में असमर्थ, देवताओं ने उनकी सहायता के लिए भगवान शिव और पार्वती के पास पहुंचे. भगवान स्कंद ने राक्षस को परास्त करने से पहले छह दिनों तक सोरापदम से युद्ध किया था. उसने शस्त्र को सोरापदम पर फेंका और उसे दो भागों में विभाजित कर दिया. पहला आधा मोर बन गया, जिसे उसने अपना पर्वत मान लिया. दूसरा मुर्गा बन गया.
देवताओं ने आनन्दित होकर प्रभु की स्तुति की. भक्त इस अवधि के दौरान स्कंद षष्ठी कवचम सुनाते हैं. माना जाता है कि स्कंद षष्ठी के छह दिनों तक जो कोई भी भगवान मुरुगन का उपवास और प्रार्थना करता है, उसे मुरुगन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी स्कंद षष्ठी का व्रत करता है, उसके अंदर लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार जैसी बुराइयों का अंत हो जाता है. भगवान कार्तिकेय की कृपा से उस व्यक्ति को रोग, दोष और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
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